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कोरोना काल में निजी स्कूलों ने शिक्षकों-कर्मचारियों को नहीं दिया पूरा वेतन तो देना होगा जवाब।

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कोरोना काल में सरकार ने सरकारी व गैरसरकारी संस्थानों को निर्देश दिए थे कि किसी भी कर्मचारी की सैलरी ना काटी जाए, ना ही उन्हें नौकरी से निकाला जाए। लेकिन सरकार के निर्देशों के बाद भी निजी स्कूलों व संस्थानों ने न केवल अपने कर्मचारियों के वेतन में कटौती की बल्कि कई कर्मचारियों को नौकरी से भी हटाया। उत्तराखण्ड में मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर सरकार ने शिक्षा विभाग को निजी स्कूलों से स्टाफ का वेतन और भुगतान का ब्यौरा तलब करने के लिए कहा है। यानि की निजी स्कूलों को कोरोना काल में शिक्षक-कर्मचारियों की वेतन कटौती और इन्हें नौकरी से हटाने का जवाब देना होगा।

शिक्षा विभाग के उपसचिव अनिल पांडे ने निदेशक आर के कुंवर को निर्देश जारी किए हैं। साथ ही कहा है कि यदि इस मामले में शासन से किसी भी प्रकार की कार्यवाही की अपेक्षा हो तो तत्काल प्रस्ताव दे दिया जाए। इधर सरकार के आदेश के बाद शिक्षा विभाग भी हरकत में आ गया है, अपर निदेशक (माध्यमिक) रामकृष्ण उनियाल ने मंगलवार को मुख्य शिक्षा अधिकारियों को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। राज्य आंदोलनकारी राजेश कुमार शर्मा (बिंजोला) द्वारा मानवाधिकार आयोग में की गई अपील के बाद अब आयोग ने सरकार को उचित उठाने के निर्देश दिए हैं।