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हाईकोर्ट का स्वास्थ्य विभाग को निर्देश…

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हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव को निर्देश दिए हैं कि नर्सों को भी फार्मासिस्टों के समान वेतन दिए जाने की डीजी हेल्थ की संस्तुति पर विचार करें । साथ ही दस सप्ताह के भीतर नर्सों का वेतन निर्धारण करने के मामले में निर्णय लें। बता दें कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महानिदेशक ने 26 दिसंबर 2013 को सरकार से संस्तुति की थी कि नर्सों को भी फार्मासिस्टों के समान वेतन दिया जाए।

न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार उत्तराखंड नर्सेज एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उन्हें भी फार्मासिस्टों के समान 5400 का ग्रेड पे वेतन दिया जाए क्योंकि उनकी योग्यता और कार्य के दायित्व उच्चतर है। याचिका में कहा गया है कि सरकार ने यह कह कर विरोध किया है कि दोनों संवर्गो का कार्य अलग-अलग है। इनकी तुलना नहीं की जा सकती है।

इसलिए इनको फॉर्मासिस्टों के समान ग्रेड पे वेतन नहीं दिया जा सकता है। नर्सेज एसोसिएशन का यह भी कहना था कि चौथे, पांचवें व छठे वेतनमान में उनको और फार्मासिस्टों को एक समान रखा गया था, लेकिन 2013 में फॉर्मासिस्टों को 5400 ग्रेड पे वेतनमान दिया गया और नर्सों को इसका लाभ नहीं दिया गया।

याचिका में कहा कि इस संबंध में 26 दिसंबर 2013 को महानिदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण ने राज्य सरकार को संस्तुति भेजी थी कि नर्सों को भी फार्मासिस्टों के समान 5400 का ग्रेड पे वेतनमान दिया जाए, लेकिन सरकार ने इस संस्तुति को नहीं माना। पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट की एकलपीठ ने स्वास्थ्य सचिव को आदेश किया है कि याचिकाकर्ता की मांगों पर विचार कर दस सप्ताह के भीतर नर्सों का वेतन निर्धारण करने पर निर्णय लें।

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