गंगा आगमन का गंगा दशहरा का पर्व आज संपूर्ण दस योगों में पड़ा है। गंगा स्नान सूर्योदय से पहले शुरू हो गया और सायंकाल तक होता रहेगा। इस बार की पवित्र डुबकी आनंद योग और हस्त नक्षत्र में लगी। प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन गंगा स्नान होता है।
इसके अगले दिन गुरुवार को निर्जला एकादशी का बड़ा स्नान होगा। गंगा दशहरा पर स्नान के लिए श्रद्धालु सोमवार से पहुंचने लगे थे, चूंकि पूर्ण दशमी तिथि और सभी दस योग पूूर्ण रूप में विद्यमान है, इसलिए स्नान का फल कई गुणा मिलेगा। इस दशहरे पर गंगा दशमी 678 सालों के बाद संवत मुखी हुई है। साथ ही परिधावी संवत में दशहरे का स्नान 60 वर्ष बाद पड़ रहा है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक वर्ष दशहरे पर पूरे दस योग नहीं पड़ते। दशहरे पर पांच से सात योग ही हर वर्ष पड़ते हैं।
दस पापों का शमन
इस बार स्नान की विशेषता यह है कि प्रत्येक दस योग में स्नान होगा। खास बात यह है कि आनंद योग और हस्त नक्षत्र का संगम कई वर्ष बाद हो रहा है। शुक्ल नक्षत्र में दशमी के दिन इस नक्षत्र का आना और भी पुण्यदायी माना गया है। इस दिन शरीर से किए हुए दस प्रकार के कायिक पाप गंगा स्नान से मुक्त हो जाते हैं। दशहरे का स्नान मानसिक तापों से भी मुक्ति दिलाता है। मनुष्य के दस पापों का शमन दशहरे के दिन स्नान से हो जाता है।
शास्त्रीय मान्यता के अनुसार गंगा में दस प्रकार की वस्तुओं का दान करना चाहिए। कहा गया है कि दशहरे का एक स्नान दस जन्मों के पाप नष्ट कर देता है। इस दिन गंगा में मछली छोड़ने से राहु केतु का दोष समाप्त हो जाता है। कुंडली में सर्प योग हो तो गंगा में चांदी से बना सर्प प्रभावित करें। इस दिन गंगा में दूध चढ़ाने से संतान की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि गंगा का स्वच्छता का अभियान दिन दशहरे के दिन चलाया जाए तो दरिद्रता समाप्त हो जाती है। गंगा दशहरे पर जीवन की एक बुराई छोड़ देनी चाहिए।