नई दिल्ली: मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जो प्रस्ताव दिया है वो छात्रों को आईआईटी से छह सेमेस्टर के बाद बाहर निकलने का विकल्प प्रदान करेगा। वर्तमान में, आठ सेमेस्टर या चार साल पूरा करने के बाद बी. टेक की डिग्री प्रदान की जाती है।
देश के सबसे प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थान, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IITs), अकादमिक रूप से कमजोर छात्रों को तीन साल में डिग्री पूरी करने की अनुमति दे सकते हैं. हालांकि यह डिग्री बी.टेक की नहीं होगी। आईआईटी 3 साल में इंजीनियरिंग में B.Sc.की डिग्री दे सकता है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक यह प्रस्ताव आईआईटी परिषद की बैठक के एजेंडे पर है। मानव संसाधन विकास मंत्री की अध्यक्षता वाली परिषद, सभी 23 संस्थानों का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय है। वर्तमान में, सभी आईआईटी में अंडर ग्रेजुएट कोर्स में एनरोल्ड छात्रों को आठ सेमेस्टर या चार साल पूरा करने के बाद बी. टेक की डिग्री प्रदान की जाती है। हालांकि, कमजोर ग्रेड वाले कई छात्र बीच में ही आईआईटी छोड़ देते हैं।
इस साल संसद में मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, बी.टेक और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में पिछले दो सालों से 2,461 छात्र विभिन्न आईआईटी से बाहर हो गए। इनमें कमजोर शैक्षणिक प्रदर्शन के कारण निष्कासन के मामले भी शामिल हैं। उदाहरण के लिए, इस साल आईआईटी कानपुर ने खराब ग्रेड के आधार पर 18 छात्रों को निष्कासित कर दिया, जिनमें से आधे बीटेक छात्र थे।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जो प्रस्ताव दिया है वो छात्रों को आईआईटी से छह सेमेस्टर के बाद बाहर निकलने का विकल्प प्रदान करेगा। काउंसिल के एजेंडे के मुताबिक, आईआईटी को इस प्रपोजल को मंजूर करने के लिए कहा गया है। ये अकादमिक रूप से कमजोर छात्रों को दूसरे सेमेस्टर के बाद B.Sc. (इंजीनियरिंग) के चयन की अनुमति देगा। यह कोर्स तीन साल बाद पूरा हो जाएगा बशर्ते छात्र न्यूनतम शैक्षणिक मानकों को पूरा कर चुके हों।