परिवहन विभाग मोबाइल और माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के खास सॉफ्टवेयर के जरिये ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने की व्यवस्था में बदलाव की योजना बना रहा है। आने वाले समय में चौपहिया वाहनों के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन करने वालों की वाहन चलाने की कुशलता की जांच मोबाइल करेगा। इस जांच में पास हुए तभी लाइसेंस मिल सकेगा। परिवहन सचिव के अनुसार इसका ट्रायल जल्द ही इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च (आईडीटीआर) देहरादून में शुरू होगा। ट्रायल सफल होने पर उसे हल्द्वानी और हरिद्वार में भी शुरू किया जाएगा।
परिवहन विभाग में अभी सिम्युलेटर पर वाहन संचालन की जांच होती है, जबकि कर्नाटक, महाराष्ट्र और केरल में ड्राइवर्स ट्रैक पर वाहन चलाने की जांच उच्च क्षमता के कैमरों और सेंसरों के माध्यम से होती है। ऐसे उन्नत डाइवर्स ट्रैक को बनाने में करीब डेढ़ से दो करोड़ का खर्च आता है। इस ट्रैक के रखरखाव पर भी मोटी रकम खर्च होती है। ऐसे ही ड्राइवर्स ट्रैक का निर्माण कर विभाग स्वचालित तरीके से चालक की संचालन कुशलता की जांच करना चाहता है।
माइक्रोसॉफ्ट कंपनी एक खास तरह सॉफ्टवेयर देने को तैयार है। इसके माध्यम से आसानी से लाइसेंस के लिए आवेदन करने वालों की जांच हो सकती है। इस सिस्टम की कीमत भी चार से पांच लाख होगी और ट्रैक 60 से 70 लाख में तैयार हो जाएंगे।
मोबाइल ऐसे करेगा काम
सहायक परिवहन आयुक्त एसके सिंह के अनुसार वाहन के विंड स्क्रीन पर माइक्रोसॉफ्ट के खास सॉफ्टवेयर से लैस मोबाइल लगा होगा, जिसमें फ्रंट कैमरा सामने और रियर कैमरा बाहर की तरफ एक साथ काम करेंगे। अंदर का कैमरा ड्राइवर के अंदर की तरफ जबकि बाहर का कैमरा बाहर वाहन चलाते समय हर मूवमेंट पर नजर रखेगा।
वर्तमान व्यवस्था
अभी जो ड्राइवर्स ट्रैक है, उसमें केवल चार तरह रिवर्स गियर में ‘एस’ बनाने, समानांतर पार्किंग, ऊंचाई पर वाहन चढ़ाने और अंग्रेजी में आठ के आकार के ट्रैक पर वाहन चलाने की जांच हो सकती है, जबकि मोबाइल के माध्यम से 20 तरह की जांचें (जैसे-सीट बेल्ट लगाना, ड्राइवर कितनी बार और कैसे ब्रेक लगा रहा है, मोड़ते समय उसकी आंखों का मूवमेंट समेत हर हरकत की जांच हो सकेगी। इस प्रकार सॉफ्टवेयर कैप्चर किए गए डाटा का विश्लेषण करेगा और उसके हिसाब से परीक्षार्थी को अंक मिलेंगे। परीक्षण में पास होने पर ही लाइसेंस जारी होगा। आईडीटीआर देहरादून के अलावा राज्य में हरिद्वार और हल्द्वानी में ड्राइवर्स ट्रैक प्रस्तावित हैं। अगर यह प्रयोग सफल रहा तो इसे वहां भी लागू किया जाएगा।