देहरादून : दून में डेंगू ने एक और जिंदगी लील ली है। नेहरू कॉलोनी निवासी 19 वर्षीय एक युवती की डेंगू से मौत हो गई है। युवती का उपचार हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट में चल रहा था, जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।
देहरादून जनपद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एसके गुप्ता ने डेंगू से युवती की मौत होने की पुष्टि की है। चिकित्सकों ने यह मामला मल्टी ऑर्गन फेल्योर का बताया है। डेंगू के कारण युवती की किडनी तक फेल हो गई थी। इससे पहले युवती का उपचार जोगीवाला स्थित कैलाश अस्पताल में चल रहा था।
अस्पताल में चार दिन भर्ती रहने के बाद हालत ज्यादा बिगड़ने पर उसको एम्स ऋषिकेश के लिए रेफर किया गया था। यहां पर कुछ घंटे रहने और वेंटीलेटर नहीं मिलने पर परिजन युवती को हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट ले गए। अस्पताल में 11 दिन वेंटीलेटर पर रहने के बाद सोमवार सुबह युवती की मौत हो गई। युवती क्लेमेनटाउन स्थित एक निजी विश्वविद्यालय में ग्रेजुएशन प्रथम वर्ष की छात्रा थी। छात्रा की बहन को भी इससे पहले डेंगू हुआ था। बता दें, डेंगू से होने वाली यह सातवीं मौत है। यह अलग बात है कि अधिकांश मामलों में स्वास्थ्य विभाग डेथ ऑडिट की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ रहा है।
इधर, जनपद देहरादून में 19 और मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। इनमें आठ पुरुष व 11 महिलाएं शामिल हैं। इस तरह देहरादून में अब तक 661 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। अन्य जनपदों से भी अब तक 26 मरीज यहां इलाज के लिए आ चुके हैं।
डेंगू के बढ़ते कहर से स्वास्थ्य विभाग में भी हड़कंप मचा हुआ है। विभागीय अधिकारियों को सूझ नहीं रहा कि आखिर इस बीमारी की रोकथाम व बचाव के लिए और क्या किया जाए। क्योंकि डेंगू से निपटने के लिए अब तक के सभी इंतजाम नाकाफी ही साबित हुए हैं। यही वजह है कि डेंगू की बीमारी फैलाने वाले एडीज मच्छर की सक्रियता निरंतर बढ़ती जा रही है।
उधर, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी दावा करते थक नहीं रहे हैं कि डेंगू की बीमारी की रोकथाम व बचाव के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। विभागीय टीमें प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रही हैं। इस दौरान लोगों को बीमारी के बचाव के लिए जागरूक किया जा रहा है। जिन घरों में मच्छर का लार्वा मिल रहा है उसको नष्ट किया जा रहा है। नगर निगम के अधिकारियों द्वारा उन घरों का चालान भी काटा जा रहा है जहां पर मच्छर का लार्वा अधिक मात्रा में मिल रहा है।
चिकित्सक ही बीमार, मरीज परेशान
शहर में कई विशेषज्ञ चिकित्सक भी बीमार हो गए हैं। चिकित्सकों को भी डेंगू की संभावना जताई जा रही है। कोरोनेशन अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉ. राहुल अवस्थी पिछले कई दिन से बीमार हैं। सीएमआइ अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉ. महेश कुड़ियाल भी बुखार से पीडि़त हैं। इसके अलावा अन्य सरकारी व निजी अस्पतालों में तैनात कई और चिकित्सक भी बीमार चल रहे हैं।
बताया जा रहा है कि प्रथम दृष्ट्या इन चिकित्सकों में डेंगू के लक्षण मिले हैं। ब्लड सैंपल एलाइजा जांच के लिए भेजे गए हैं। चिकित्सकों के बीमार पडऩे से मरीज भी परेशान हैं। खासकर कोरोनेशन व सीएमआइ अस्पताल में न्यूरो संबंधी उपचार कराने के लिए पहुंच रहे मरीज इधर-उधर भटक रहे हैं। पहले से ही मरीजों का भारी दबाव झेल रहे दून अस्पताल पर इससे और भी दबाव बढ़ गया है।
ओपीडी में मरीजों की भारी भीड़
डेंगू के बढ़ते मामलों के साथ ही अन्य संक्रामक बीमारियां भी तेजी से पांव पसार रही हैं। वर्तमान में शहर में बड़ी संख्या में लोग वायरल की चपेट में हैं। इससे सरकारी व निजी अस्पतालों में मरीजों का दबाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है। दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में आए दिन मरीजों का दबाव बढ़ रहा है।
यहां पर ओपीडी व पैथोलॉजी लैब के बाहर मरीजों की लंबी कतार लग रही है। जिन्हें डॉक्टर से परामर्श लेने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं पैथोलॉजी लैब के बाहर मारामारी जैसी स्थिति रही। कई बार हंगामे के भी हालात बने। इसी तरह कोरोनेशन अस्पताल व गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय में भी मरीजों की भारी भीड़ रही। स्थिति ये कि इमरजेंसी में एक बेड पर दो-दो मरीज भर्ती करने पड़े। वहीं कुछ का स्ट्रेचर पर इलाज किया गया। वहीं सभी अस्पतालों में बेड लगभग फुल हैं। यहां तक कि डेंगू के मरीजों को भी भर्ती करने के लिए बेड उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। इन तीनों बड़े सरकारी अस्पतालों में डेंगू वार्ड फुल हैं।
रक्तदान किया
अपराध नियंत्रण एवं अनुसंधान संगठन ने डेंगू के बढ़ते मामलों को देखते हुए सोमवार को ग्राम कोल्हूपानी में रक्तदान शिविर आयोजित किया गया। जिसमें 45 यूनिट रक्तदान किया गया। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदीप डोबरियाल व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दीपक शरण अग्रवाल ने लोगों को अपने घर के आसपास सफाई रखने को प्रेरित किया। कहा कि किसी भी वस्तु या जगह पर पानी न इकट्ठा होने दें।
कई निजी अस्पताल नहीं दे रहे डेंगू की रिपोर्ट
शहर के डेंगू की स्थिति कई ज्यादा भयावह है। कई निजी अस्पताल अभी भी डेंगू की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को नहीं दे रहे हैं। जबकि विभिन्न छोटे-बड़े अस्पतालों में डेंगू से पीडि़त कई मरीज भर्ती बताए जा रहे हैं। यानी डेंगू के मरीजों का असल आंकड़ा कई ज्यादा है।
बता दें, डेंगू की बीमारी को अधिसूचित श्रेणी में रखा गया है। जिसकी तुरंत जानकारी देना आवश्यक है। जानकारी के अनुसार शहर के विभिन्न निजी अस्पतालों में डेंगू के मरीज भर्ती हैं। जबकि कई निजी लैब में भी मरीजों की जांच की जा रही है। पर डेंगू की पुष्टि होने पर रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को नहीं भेजी जाती। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एसके गुप्ता का कहना है कि कई अस्पताल नियमित रिपोर्ट भेज रहे हैं। जो भी अस्पताल या पैथोलाजी सेंटर जानकारी नहीं देंगे, उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
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डीएम के आदेश का स्कूलों में नहीं असर
जिलाधिकारी और शिक्षा विभाग के आदेश के बाद भी स्कूल डेंगू को लेकर चिंतित नहीं है। कुछ स्कूलों में छोड़कर अधिकांश में बच्चे आधी बाह के कपड़े पहन कर पहुंच रहे हैं। डेंगू से कहर के मद्देनजर प्रशासन ने स्कूली बच्चों को पूरी बांह के कपड़ने पहनकर जाने के लिए कहा था। इसे स्कूलों की ओर से अमल में नहीं लाया गया।