उत्तराखंड पलायन और बेरोजगारी की मार झेल रहा है। रोजगार की तलाश में यहां के युवा किसी तरह विदेश पहुंच तो रहे हैं, पर वहां उन्हें जिस तकलीफ से गुजरना पड़ रहा है, उसका आप और हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते। टिहरी का रहने वाला दीवान सिंह गुसाईं भी कई सपने लेकर सऊदी अरब में काम करने गया था, पर वहां उससे ना सिर्फ दिन-रात काम कराया गया, बल्कि 5 महीने की तनख्वाह भी नहीं दी गई। दीवान सिंह ने जब घर लौटने का मन बनाया तो उसे सऊदी अरब में बंधक बना लिया गया, उससे मारपीट की जा रही है। युवक के परिजनों ने अब विदेश मंत्रालय से मदद की गुहार लगाई है। मामले में हस्तक्षेप कर बंधक युवक की स्वदेश वापसी के लिए मदद मांगी है। पहाड़ में ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं। धंधेबाज एजेंट्स यहां के भोले-भाले युवकों को गुमराह कर उन्हें गैरकानूनी तरीके से विदेश भेज देते हैं। जिसकी वजह से वो मुश्किल में फंस रहे हैं। उत्तराखंड में विदेश भेजने के नाम पर लोगों को फंसाने का रैकेट चल रहा है, जिसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
दीवान सिंह टिहरी के तोली गांव का रहने वाला है। पीड़ित के परिजनों ने बताया कि कुछ समय पहले दीवान सिंह की मुलाकात आलम नाम के एक आदमी से हुई थी। आलम मुजफ्फरनगर का रहने वाला है, जिससे दीवान सिंह केदारनाथ में मिला। एजेंट आलम ने दीवान सिंह से कहा कि अगर वो 90 हजार रुपये उसे दे देगा, तो वो दीवान सिंह की नौकरी कतर में लगवा देगा। दीवान सिंह ने किसी तरह रुपयों का जुगाड़ कर रकम आलम को दे दी। बीती 18 जनवरी को दीवान सिंह को दिल्ली से कतर भेज दिया गया। बाद में दीवान सिंह को कतर से सऊदी अरब ले जाया गया। जहां उन्हें किसी अनजान जगह पर रखा गया है। परिजनों ने बताया कि दीवान सिंह को सऊदी में बंधक बना लिया गया है। उसे घर पर बात नहीं करने दी जाती, विरोध करने पर मारपीट भी की जाती है। परिजनों ने कहा कि उन्होंने संबंधित एजेंट से बात भी की थी, पर उसने वापसी टिकट क नाम पर उनसे साढ़े 13 हजार रुपये मांगे। परिजनों को अब विदेश मंत्रालय का ही सहारा रह गया है। उन्होंने विदेश मंत्रालय से दीवान सिंह की सुरक्षित स्वदेश वापसी के साथ ही एजेंट के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।