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देवस्थानम अधिनियम पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से तीन सप्ताह में मांगा जवाब।

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उत्तराखंड के देवस्थानम अधिनियम को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। भाजपा नेता व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने जनहित याचिका दायर कर अधिनियम को चुनौती दी है। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति रमेश खुल्बे की खंडपीठ में याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में बहस के दौरान सरकार की ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर, मुख्य स्थायी अधिवक्ता परेश त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।
स्वामी ने इस अधिनियम को असंवैधानिक करार देने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करार दिया। कहा कि 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में साफ कहा है कि सरकार मंदिर का प्रबंधन हाथ में नहीं ले सकती। उन्होंने याचिका में मांग की है कि चारधाम देवस्थानम एक्ट रद किया जाए। आज सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने कोर्ट में कहा कि स्वामी ने राजनीति से प्रेरित होकर प्रचार के लिये ये जनहित याचिका दाखिल की है जिस पर कोर्ट में सरकार की किरकिरी भी हुई।
राज्यसभा सदस्य और भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से उत्तराखंड हाईकोर्ट में देवस्थानम अधिनियम के खिलाफ याचिका दायर होने से सरकार की परेशानी में इजाफा होना तय है। चारों धामों के मंदिरों का श्राइन बोर्ड की तर्ज पर प्रबंधन करने के लिए प्रदेश सरकार यह अधिनियम लेकर आई थी।

कुछ समय पहले ही तीर्थ पुरोहित महापंचायत ने देवस्थानम अधिनियम के विरोध में सुब्रमण्यम स्वामी से संपर्क किया था। स्वामी ने महापंचायत को अदालत में इस मामले को चुनौती देने का आश्वासन दिया था।