उत्तराखण्ड़ में हरेला पर्व पर शुरु हुई पेड़ लगाने की मुहिम अब जोर पकड़ चुकी है, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने देहरादून से अभियान की शुरुआत कर एक दिन में देहरादून जनपद में 3 लाख से अधिक पेड़ लगाए। साथ ही अल्मोड़ा जिले में कोसी नदी के उदगम स्थल के आस-पास बड़ी संख्या में वृक्षारोपण किया गया।
वहीं अल्मोड़ा जिले के स्याल्दे ब्लॉक अंतर्गत छ्याणी गांव के ग्रामीणों ने वृक्षारोपण के लिए एक अलग मुहिम छेड़ी है। दिल्ली-एनसीआर में रह रहे गांव के युवाओं ने फंड इक्ट्ठा कर अपने गांव में वृक्षारोपण करने का प्रयास किया और ग्रामीणों के सहयोग से इन दिनों गांव में वृक्षारोपण का कार्य चल रहा है। खास बात यह है कि इस वृक्षारोपण मुहिम से कोरोना संकट के चलते घर लौटे प्रवासियों को रोजगार भी मिल रहा है, पेड़ लगाने के लिए गढ्ढे खोदने वाले लोगों को 12 रूपया प्रति गढ्ढा भुगतान भी किया गया।
दिल्ली में रहने वाले गांव के युवक कीर्तिपाल सिंह ने बताया कि बीते वर्ष इस मुहिम के अंतर्गत 200 से अधिक पेड़ लगाए गए थे, वहीं इस वर्ष अब तक 600 से अधिक पेड़ लगाए जा चुके हैं, जिन पर लगभग 30 हजार रुपए का खर्च आया और यह खर्च दिल्ली में रहने वाले गांव के युवकों द्वारा वहन किया जा रहा है। जल संरक्षण को ध्यान में रखते हुए बांज व देवदार के पेड़ भी लगाए हैं, तो वहीं औषधीय गुणों से भरपूर कागजी नीबू, दाल चीनी, आवंला, हरण, काफल, रीठा आदि के पेड़ भी लगाए गए हैं। उन्होेंने बताया कि हमारा प्रयास अधिक से अधिक पौंधों को संरक्षण करने का है। वहीं अगले वर्ष 12 सौ से अधिक पेड़ लगाने का प्रयास किया जाएगा।
इसके लिए उन्होंने कार्ययोजना भी तैयार कि है, उनका कहना है कि कोरोना संकट के चलते बहुत से लोग अपने घर वापस लौटे हैं, और उनमें से कुछ युवाओं ने गांव में ही रहकर काम करने की इच्छा जाहिर की है। इन पेड़ों के संरक्षण का कार्य भी इन्हीं लोगों को दिया जाएगा और इसके लिए इन्हें उचित भुगतान भी किया जाएगा, जिससे इन लोगों को रोजगार भी मिलेगा और साथ-साथ पौंधों का संरक्षण भी होगा। इस कार्य में खर्च होने वाली धनराशि का प्रबन्ध भी दिल्ली में रहने वाले युवाओं द्वारा किया जाएगा। वृक्षारोपण कार्य में गांव की महिलाओं व बच्चों ने भी भरपूर सहयोग दिया।