Home अपना उत्तराखंड दिल्ली के हैप्पीनेस फार्मूले से खिलेंगे उत्तराखंड के स्कूल !

दिल्ली के हैप्पीनेस फार्मूले से खिलेंगे उत्तराखंड के स्कूल !

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देहरादून: सरकारी स्कूलों में लगातार गिर रही छात्रसंख्या से चिंतित उत्तराखंड की भाजपा सरकार इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए दिल्ली की आप सरकार के फार्मूले को आजमाने जा रही है। स्कूलों में कक्षा एक से आठवीं तक विद्यार्थियों के लिए तनावमुक्त और खुशनुमा माहौल बनाने के लिए हैप्पीनेस क्लास चलाई जाएंगी। स्कूल लगते ही पहला पीरियड यही होगा। एससीइआरटी स्कूली पाठ्यक्रम में इस नए बदलाव के लिए शिक्षकों को ट्रेनिंग देगा। जुलाई से नई व्यवस्था लागू करने की तैयारी है। दिल्ली सरकार की इस बेस्ट प्रेक्टिस का अध्ययन करने के बाद शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम के साथ विभागीय अधिकारियों का दल गुरुवार सुबह लौट चुका है।

उत्तराखंड में शिक्षा महकमे का सालाना बजट करीब 6200 करोड़ पहुंच चुका है। राज्य के इस सबसे बड़े महकमे में भारी-भरकम बजट खर्च करने के बावजूद सरकारी स्कूलों में छात्रसंख्या लगातार गिर रही है। राज्य बनने के बाद से सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में छात्रसंख्या में 50 फीसद से ज्यादा कमी आ चुकी है। उच्च प्राथमिक से लेकर माध्यमिक स्तर पर भी छात्रसंख्या में गिरावट हुई है। इसके उलट प्राइवेट स्कूलों में छात्रसंख्या बढ़ रही है। दिल्ली में इस समस्या से निपटने में आप सरकार की पहल कारगर साबित हुई है। दिल्ली सरकार ने अपने सरकारी स्कूलों में कक्षा छह से आठवीं तक हैप्पीनेस प्रोग्राम शुरू किया है। इसके पीछे मंशा बच्चों में पढ़ाई को लेकर भय या तनाव दूर करने की है। सुबह स्कूल शुरू होने पर पहला पीरियड हैप्पीनेस क्लासेज का होता है। इसमें बच्चों को हल्के-फुल्के व्यायाम के साथ लिविंग स्किल्स भी बताए जा रहे हैं।

बेस्ट प्रेक्टिस अपनाने पर मोदी का जोर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विभिन्न राज्यों में अपनाई जा रही बेस्ट प्रेक्टिस को परस्पर अपनाने की मुहिम के साथ कदमताल करते हुए उत्तराखंड की भाजपा सरकार भी दिल्ली सरकार की पहल को लागू करने जा रही है। बीते मार्च माह में एससीइआरटी की ओर से आयोजित सेमीनार में दिल्ली सरकार के हैप्पीनेस प्रोग्राम पर मंथन किया गया। साथ ही शिक्षा सचिव के नेतृत्व में महकमे के अधिकारियों के एक दल ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों और एससीइआरटी व जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों का मुआयना कर उक्त योजना की थाह भी ली। इस दल में शिक्षा महानिदेशक व अपर सचिव रवनीत चीमा, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण निदेशक सीमा जौनसारी, अपर निदेशक शशिबाला चौधरी व समग्र शिक्षा अभियान के अपर राज्य परियोजना निदेशक एसबी जोशी, एससीइआरटी के संयुक्त निदेशक व अन्य अधिकारी शामिल थे।

नैतिक शिक्षा की कहानियां भी सुनाएंगे 

उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से आठवीं तक विद्यार्थियों को हैप्पीनेस प्रोग्राम के तहत हफ्ते में दो दिन नैतिक शिक्षा पर आधारित कहानियां भी सुनाई जाएंगी। इन कहानियों पर आधारित सवालों के मौखिक जवाब बच्चों से पूछे जाएंगे। शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम के निर्देश पर अब इसके आधार पर एससीइआरटी उत्तराखंड के लिए पाठ्यक्रम तैयार कर रहा है। यह पाठ्यक्रम सिर्फ शिक्षकों के लिए बनेगा। इसके लिए उन्हें दस दिनी ट्रेनिंग भी दी जाएगी। निदेशक सीमा जौनसारी ने बताया कि पाठ्यक्रम को जल्द

अंतिम रूप दिया जाएगा।

दिल्ली सरकार की इस पहल का भी दिखा व्यापक असर

दिल्ली सरकार ने अपने स्कूलों में भवन और फर्नीचर समेत अवस्थापना सुविधाओं को बेहतर बनाया है, ताकि प्राइवेट स्कूलों को टक्कर दी जा सके। इसके अलावा प्रधानाचार्यों को करीब सात-आठ लाख का बजट दिया है। इससे वह स्कूलों की तात्कालिक जरूरत पूरा कर सकते हैं। आकर्षक इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ लर्निंग लेवल आकर्षक बनाने के लिए हर विद्यालय के लिए मेंटर की तैनाती भी की गई है। दल ने अध्ययन के दौरान पाया कि नई पहल के चलते दिल्ली में शिक्षक तुलनात्मक रूप से पढ़ाई व अन्य अकादमिक गतिविधियों को लेकर प्रतिबद्ध हैं। उत्तराखंड में बजट की उपलब्धता राज्य सरकार के लिए विकट समस्या है। दिल्ली सरकार करीब एक हजार स्कूलों में बजट उपलब्ध करा रही है, जबकि उत्तराखंड में स्कूलों का आंकड़ा 17 हजार है। माध्यमिक स्कूलों को मिलाकर यह 20 हजार से ज्यादा हो रहा है। इस वजह से स्कूलों को संसाधन मुहैया कराने की बड़ी चुनौती है।