रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को आत्मनिर्भर भारत सप्ताह की शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और सैन्य ताकतों को बढ़ाने की बात कही। इस दौरान राजनाथ सिंह ने कहा, मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमने पहली बार 101 वस्तुओं की सूची निकाली है, जो अब हम आयात नहीं करेंगे। इस सूची को हम निगेटिव लिस्ट कहते हैं। इसमें सिर्फ छोटी वस्तुएं ही नहीं बल्कि बड़ी और गहन तकनीक वाली हथियार प्रणाली भी शामिल हैं।
आत्मनिर्भर भारत के तहत अब रक्षा उपकरणों को बनाने में देहरादून भी रक्षा उपकरण बनाने में अहम भूमिका निभाएगा। देहरादून में अब नौसेना के लिए रिमोट कंट्रोल गन बनेगी। टी-90 व टी-72 टैंक के जिस फायरिंग कंट्रोल सिस्टम के लिए हम रूस व फ्रांस पर निर्भर थे, उसका निर्माण भी मेक इन इंडिया के तहत दून में होगा। इन उत्पादों के निर्माण के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ओएलएफ में निर्मित थर्मल इमेजिंग प्रोडक्शन वर्कशाप का ऑनलाइन उद्घाटन किया।
सोमवार को रक्षा मंत्री ने प्रोडक्शन शॉप के उद्घाटन के साथ स्टेबलाइज रिमोट कंट्रोल गन की तकनीक को लांच किया। यह समुद्र की लहरों के उतार-चढ़ाव के बीच भी सटीक निशाना लगाएगी। ऐसा इसके माडर्न सिस्टम के चलते होगा। ओलएफ के महाप्रबंधक शरद यादव ने बताया कि सालभर में ओएलएफ में इस तरह की यूनिट का उत्पादन शुरु कर दिया जाएगा।
शरद यादव ने कहा कि अब फैक्ट्री में टी-90 व टी-72 टैंक की सिर्फ डे साइट का निर्माण किया जा रहा था, संस्थान परिसर में अब करीब 8 करोड़ रूपए की लागत से थर्मल इमेजिंग प्रोडक्शन शॉप तैयार हो गई है। अब यहां नाइट साइट भी तैयार की जाएगी। स्वदेसी तकनीक पर आधारित साइट की लागत भी आधी रह जाएगी। साथ ही इसके जरिए टैंक मं बैठे-बैठे 8 किलोमीटर तक दुश्मन पर नजर रखी जा सकेगी। जबकि विदेश से आने वाले उपकरण करीब एक किलोमीटर तक नजर रखने में सक्षम थे। नए उपकरण बनने से सेना को आधुनिक तकनीकी का लाभ और मजबूती मिलेगी।