
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के युवा परिश्रमी एवं ईमानदार हैं। युवाओं के कौशल विकास पर ध्यान देने की जरूरत है। इसी उद्देश्य से राज्य, जनपद एवं तहसील स्तर पर रोजगार मेले आयोजित किये जा रहे हैं। इन रोजगार मेलों में कम्पनियों द्वारा युवाओं का साक्षात्कार कर उनकी योग्यता के अनुसार नौकरी दी जा रही है। यह वर्ष रोजगार वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। राज्य सरकार सरकारी सेवाओं एवं अन्य माध्यमों से युवाओं को रोजगार एवं स्वरोजगार के संसाधन उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए उत्तराखण्ड में अनेक प्रशिक्षण संस्थान खोले गये हैं। डोईवाला में सीपेट शुरू किया गया है। इस संस्थान में अभी सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किये गये हैं। इस संस्थान से कोर्स करने के बाद युवाओं को रोजगार भी मिले हैं। अभी सीपेट का विस्तार किया जा रहा है। इस संस्थान में डिप्लोमा एवं डिग्री कोर्स शुरू होने के बाद रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। दूरस्थ क्षेत्रों में लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने के प्रयास किये जा रहे हैं। इसके लिए अभी तक 82 ग्रोथ सेंटर की स्वीकृति दी जा चुकी है। वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली योजना के तहत प्रदेश के युवाओं को 50 प्रतिशत सब्सिडी पर बसें दी जा रही हैं। इन बसों का अनुबंध रोडवेज से किया गया है।
वहीं कार्यक्रम में मौजूद कौशल विकास एवं सेवायोजन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां कौशल विकास से संबिधत कार्यों के लिए जिला एवं तहसील स्तर पर कोर्डिनेशन करने की जिम्मेदारी दी गई है। युवाओं को रोजगार के अधिक से अधिक अवसर मिल सके इसके लिए जिला एवं तहसील स्तर पर भी रोजगार मेले आयोजित किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज उत्तराखण्ड का नौजवान हर क्षेत्र में अच्छी परफोर्मेंस दे रहा है। हमारे युवा हर क्षेत्र में दक्ष हैं, उनकी प्रतिभाओं को उजागर करने के लिए राज्य सरकार द्वारा हर सम्भव प्रयास किये जा रहे हैं।