लोकसभा चुनाव निपटने के बाद अब पर्यटन नगरी में छावनी बोर्ड चुनावों की सरगर्मियां शुरू हो गईं हैं। छावनी परिषद नई निर्वाचक नामावली तैयार करने के काम में जुट गई है। परिषद द्वारा नामावली तैयार करने के लिए वार्डवार कर्मचारियों की नियुक्ति कर दी गई है। नामावली में मतदाताओं के नाम अंकित किए जा रहें हैं।छावनी परिषद चुनाव को लेकर गहमागहमी शुरू हो गई है। अगले कुछ वक्त में देशभर के कैंट बोर्ड में चुनावी बिगुल बज सकता है। मार्च-अप्रैल तक चुनाव होने हैं।
देश भर की कैंटों में अगले साल नई छावनी बोर्डों के गठन के लिए निकाय चुनाव होंगे। छावनी परिषदों ने चुनावों के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। छावनी परिषद रानीखेत में भी निर्वाचक नामावली-2019 तैयार करने का काम शुरू कर दिया गया है। रानीखेत छावनी परिषद में कुल सात वार्डों में सदस्यों का चुनाव होगा। जिसके बाद सदस्य बोर्ड उपाध्यक्ष का चुनाव करेंगे। परिषद के मुख्य अधिशासी अधिकारी अभिषेक आजाद ने बताया कि निर्वाचक नामावली तैयार करने के लिए सभी सात वार्डों में पृथक-पृथक कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है। पात्र लोग निर्धारित प्रपत्र व वांछित सूचनाओं के बाद निर्वाचक नामावली में अपना नाम दर्ज करा सकते हैं।
इनमें उत्तराखंड में स्थित नौ कैंट बोर्ड क्लेमेनटाउन, देहरादून, लंढ़ौर, चकराता, रुड़की, अल्मोड़ा, रानीखेत, नैनीताल व लैंसडौन भी शामिल हैं। रक्षा मंत्रालय ने आगामी 10 दिसंबर तक वार्डों में एससी व एसटी व 24 दिसंबर तक महिला आरक्षण की प्रक्रिया पूरी कर रिपोर्ट मांगी है। आरक्षण प्रक्रिया पूरी होने के बाद चुनाव की तिथियों का एलान होगा।
दरअसल, अगले वर्ष 10 फरवरी को देशभर की 56 छावनियों का पांच साल का कार्यकाल पूरा हो रहा है। उत्तराखंड में स्थित नौ छावनी परिषदों में भी सभासदों के लिए चुनाव प्रक्रिया होगी। इससे पहले छावनियों में आरक्षण निर्धारित किया जाएगा। ए श्रेणी के कैंट बोर्ड में छावनी परिषद के अध्यक्ष लाटरी प्रक्रिया से महिलाओं के लिए तीन वार्डों का निर्धारण करेंगे। लाटरी प्रक्रिया 24 दिसंबर से पहले पूरी करनी होगी। बता दें, छावनी परिषद चुनाव में वर्ष 2008 के चुनाव में पहली बार महिला वार्डों का आरक्षण शुरू किया गया था।
वहीं, वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार एससी/एसटी वर्ग के प्रत्याशी के लिए भी एक वार्ड आरक्षित होगा। रक्षा संपदा मुख्यालय ने सभी कैंट बोर्डों को आरक्षण प्रक्रिया प्राथमिकता से करने के निर्देश दिए हैं। छावनी परिषद के उपाध्यक्ष का चुनाव सीधे मतदाता से कराने को लेकर अभी कोई निर्णय नही हो सका है। अब तक उपाध्यक्ष का चुनाव सदन में निर्वाचित सभासद करते हैं।
लंढौर कैंट बोर्ड के उपाध्यक्ष महेश चंद से सरकारी आवास बलपूर्वक खाली कराने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। उपाध्यक्ष व तीन अन्य सभासदों ने बोर्ड बैठक का बहिष्कार कर दिया। कोरम पूरा न होने के कारण बैठक स्थगित करनी पड़ी। इनका कहना है कि बोर्ड के नामित सदस्य कर्नल बीके शुक्ला उपाध्यक्ष के खिलाफ पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर व दुर्भावना से कार्य कर रहे हैं। उनकी सदस्यता समाप्त करने की मांग की।
छावनी परिषद देहरादून के सभागार में अध्यक्ष ब्रिगेडियर नीरज गुसाईं की अध्यक्षता में लंढौर कैंट बोर्ड की बैठक आयोजित की गई। बैठक शुरू होते ही उपाध्यक्ष महेश चंद और सभासद सुशील अग्रवाल, पुष्पा पडियार व रमेश कन्नौजिया ने नामित सदस्य कर्नल बीके शुक्ला को बोर्ड से तुरंत हटाए जाने की मांग करते हुए अध्यक्ष को ज्ञापन सौंपा और बैठक का बहिष्कार कर दिया।
बता दें, अक्टूबर माह में उपाध्यक्ष लंढौर से सेना और पुलिस ने सरकारी आवास बलपूर्वक खाली कराकर सील कर दिया था। कार्रवाई के दौरान वहां जमकर बवाल हुआ था। इसे लेकर ही उपाध्यक्ष व सभासद कर्नल बीके शुक्ला के खिलाफ लामबंद हैं। कैंट बोर्ड के मुख्य अधिशासी अधिकारी अभिषेक राठौर का कहना है कि अध्यक्ष ने इस मसले पर दोनों पक्षों से बात की है। दोनों ने ही अपनी बात विस्तार से कही। अब अध्यक्ष ही इस पर कोई फैसला लेंगे।