अगर आप भी डेबिट या क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग करते हैं तो यह खबर आपके लिए है। नई कार खरीदी। नया घर खरीदा। विदेश घूमने गए हों। कहीं अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग की तो आयकर विभाग की नजर से अब बच नहीं पाएंगे। सोमवार से आयकर विभाग का ‘इंटर प्रोजेक्ट इनसाइट’ सॉफ्टवेयर शुरू हो गया। इसकी खास बात यह होगी कि यह सोशल मीडिया पर भी हर करदाता की ऑनलाइन निगरानी करके पूरी रिपोर्ट तैयार करेगा।
यह सॉफ्टवेयर रिटर्न दाखिल करने के बाद आमदनी या खर्च का छुपाया गया डाटा पकड़ लेगा। अब तक ऑनलाइन रिटर्न दाखिल करने की सुविधा तो थी लेकिन दाखिल रिटर्न में दस्तावेजों की पड़ताल मैनुअल ही की जाती थी या आयकर विभाग के जासूस यह काम करते थे।
नया सॉफ्टवेयर कम से कम समय में स्वचालित तरीके से डाटा अन्वेषण कर गड़बड़ी बता देगा। यह सॉफ्टवेयर 90 फीसद डाटा खुद तैयार कर लेगा। आयकर विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि यह सॉफ्टवेयर एक अप्रैल से शुरू हो गया है।
ऐसे जासूसी करेगा सॉफ्टवेयर
आयकर विभाग का नया सॉफ्टवेयर आयकरदाताओं का पैन नंबर, मोबाइल नंबर, ई-मेल, आधार, डेबिट-क्रेडिट कार्ड, शॉपिंग, विदेश यात्रा और ट्वीटर, फेसबुक सहित बैंक खाते का ऑटोमेटिक सर्विलांस करता रहेगा।
आयकर रिटर्न दाखिल करते ही आपके डाटा सर्च में छिपाई गई आमदनी या खर्च का हिसाब कंप्यूटर स्क्रीन पर विभाग को मिलेगा। उच्च जोखिम के आमदनी और खर्च का पता लगते ही सॉफ्टवेयर अलर्ट करेगा।
डाटा के आधार पर आयकर विभाग कार्रवाई कर सकेगा। आय के स्रोत पर टैक्स कटौती (टीडीएस) और आय स्रोत से टैक्स वसूली (टीसीएस) का ब्योरा सहित विदेशी खाते, एनआरआई बैंक खाते, विदेश में भुगतान या आमदनी के हिसाब की नए सॉफ्टवेयर के माध्यम से मॉनिटरिंग होगी।
खर्च को नहीं दिखाया तो मानी जाएगी टैक्स चोरी
आयकर विभाग के नए टैक्स ट्रैकिंग सिस्टम से बचना मुश्किल होगा। इसका मकसद है कि हर व्यक्ति अपने आय-व्यय का सही हिसाब रिटर्न में शामिल करे। विदेश यात्रा, महंगी गाड़ी, स्टार होटल और रेस्टोरेंट में होने वाले खर्च की जानकारी नए सॉफ्टवेयर से सीधे विभाग को मिल जाएगी।
सोशल मीडिया पर लग्जरी जीवन से जुड़ी तस्वीरें पोस्ट करने वालों का डाटा भी सॉफ्टवेयर जुटाएगा। यदि आयकर रिटर्न में ऐसे खर्चे को नहीं दिखाया तो मामला टैक्स चोरी का माना जाएगा।