Home राष्ट्रीय 70वां संविधान दिवस : कैसे बना भारत का संविधान? क्या है विशेषताएं...

70वां संविधान दिवस : कैसे बना भारत का संविधान? क्या है विशेषताएं समझिए संविधान का हर पहलू…

1541
SHARE

आज पूरा देश संविधान दिवस मना रहा है. आज के दिन संविधान सभा ने इसको पारित किया था. भारत सरकार ने आज के दिन सभी नागरिकों को संविधान की प्रस्तावना पढ़ने को कहा है ताकि हर भारतीय इसे समझ सके, आइए जानते हैं हमारे संविधान की 10 ऐसी बातें जो हर भारतीय को जरूर जाननी चाहिए. साथ ही जानिए अपने मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक तत्वों के बारे में

संविधान बनाने के लिए संविधान सभा बनाई गई. डॉ. राजेंद्र प्रसाद इसके स्थाई अध्यक्ष थे. संविधान सभा ने 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन में कुल 114 दिन बैठकें की. भारत का संविधान विश्व का सबसे लंबा संविधान है. इसमें 465 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां हैं. ये 22 भागों में विभाजित है. संविधान में साफ लिखा है कि देश का कोई आधिकारिक धर्म नहीं होगा. यह किसी धर्म को बढ़ावा नहीं देता न किसी से भेदभाव करता है.

कब क्या-क्या हुआ 

  • 26 नवंबर, 1949 को संविधान अंगीकृत किया गया था।
  • 26 नवंबर, 2019 को देश 70वां संविधान दिवस मनाएगा।
  • 11 अक्तूबर, 2015 को 26 नवंबर राष्ट्रीय संविधान दिवस घोषित हुआ।
  • 1951 में पहला संशोधन अस्थायी संसद ने पारित किया था।
  • 2019 में अंतिम 103वां संशोधन पारित हुआ।
  • 103 संशोधन किए गए 70 साल में संविधान में।
  • 99वें संविधान संशोधन को असंवैधानिक करार दिया है।
  • 107 संविधान संशोधन विधेयक पारित किए राज्यसभा ने।
  • 01 विधेयक लोकसभा ने अमान्य कर दिया।
  • 106 संविधान संशोधन विधेयक पारित किए हैं लोकसभा ने।
  • 03 विधेयकों को राज्यसभा ने अमान्य कर दिया।

संविधान की आत्मा कहे जाने वाले Preamble यानी प्रस्तावना को अमेरिकी संविधान से लिया गया है. संविधान में प्रस्तावना की शुरुआत ‘We the people’ से होती है.भारतीय संविधान में अब तक 124 बार संशोधन हुआ है.  26 जनवरी 1950 को ही अशोक चक्र को बतौर राष्ट्रीय चिन्ह स्वीकार किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अधिसूचना जारी कर 19 नवंबर 2015 को ये घोषित किया कि 26 नवंबर को देश संविधान दिवस मनाएगा. आज पांचवां संविधान दिवस है

संविधान में नागरिकों को दिए गए मौलिक अधिकार
मौलिक अधिकार उन अधिकारों को कहा जाता है जो व्यक्ति के जीवन के लिए मौलिक होने के कारण संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदान किए जाते हैं. इनमें राज्य द्वारा हस्तक्षेप नही किया जा सकता.

मौलिक अधिकारों का वर्गीकरण
भारतीय संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों का वर्णन संविधान के तीसरे भाग में अनुच्छेद 12 से 35 तक किया गया है. भारतीय नागरिकों को 6 मौलिक अधिकार मिले हैं.
1. समानता का अधिकार : अनुच्छेद14 से 18 तक.
2. स्वतंत्रता का अधिकार : अनुच्छेद 19 से 22 तक.
3. शोषण के विरुद्ध अधिकार : अनुच्छेद 23 से 24 तक.
4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार : अनुच्छेद 25 से 28 तक.
5. सांस्कृतिक तथा शिक्षा सम्बंधित अधिकार : अनुच्छेद 29 से 30 तक.
6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार : अनुच्छेद 32

भारतीय संविधान के नीति-निर्देशक तत्त्व
नीति निर्देशक तत्व (directive principles of state policy) जनतांत्रिक संवैधानिक विकास के नवीनतम तत्व हैं. सबसे पहले ये आयरलैंड के संविधान मे लागू किए गए थे. ये वे तत्व हैं जो संविधान के विकास के साथ ही विकसित हुए हैं.

अनुच्छेद     विवरण
36               परिभाषा
37               इस भाग में अंतर्विष्‍ट तत्‍वों का लागू होना
38               राज्‍य लोक कल्‍याण की अभिवृद्धि के लिए
सामाजिक व्‍यवस्‍था बनाएगा
39               राज्‍य द्वारा अनुसरणीय कुछ नीति तत्‍व
39क            समान न्‍याय और नि:शुल्‍क विधिक सहायता
40               ग्राम पंचायतों का संगठन
41               कुछ दशाओं में काम, शिक्षा और
लोक सहायता पाने का अधिकार
42               काम की न्‍यायसंगत और मानवोचित दशाओं
का तथा प्रसूति सहायता का उपबंध
43               कर्मकारों के लिए निर्वाह मजदूरी आदि

अनुच्छेद     विवरण
36               परिभाषा
37               इस भाग में अंतर्विष्‍ट तत्‍वों का लागू होना
38               राज्‍य लोक कल्‍याण की अभिवृद्धि के लिए
सामाजिक व्‍यवस्‍था बनाएगा
39               राज्‍य द्वारा अनुसरणीय कुछ नीति तत्‍व
39क            समान न्‍याय और नि:शुल्‍क विधिक सहायता
40               ग्राम पंचायतों का संगठन
41               कुछ दशाओं में काम, शिक्षा और
लोक सहायता पाने का अधिकार
42               काम की न्‍यायसंगत और मानवोचित दशाओं
का तथा प्रसूति सहायता का उपबंध
43               कर्मकारों के लिए निर्वाह मजदूरी आदि

एक हजार साल की मियाद वाले कागज की शीट पर हुआ लेखन
संविधान की पांडुलिपि एक हजार साल तक बचे रहने वाले सूक्ष्मीजीवी रोधक चर्मपत्र की शीट पर लिखी गई। इसका आकार 45.7 सेमी × 58.4 सेमी है।  पांडुलिपि में 234 पृष्ठ शामिल थे, जिसका वजन 13 किलो था।
4) पहले मसौदे में हुए थे 2000 संशोधन
संविधान सभा में बहस और चर्चा के लिए जो मसौदा रखा गया, उसमें करीब 2000 संशोधन किए गए थे।
26 नवंबर को तैयार हुआ था आखिरी मसौदा
संविधान सभा के कुल 11 सत्र हुए। 11वां सत्र 14-26 नवंबर तक चला। 26 नवंबर 1949 को हमारे संविधान का आखिरी मसौदा बनकर तैयार हुआ था।24 नवंबर 1949 को 284 लोगों ने किए थे संविधान पर दस्तखत,जो संविधान बनकर तैयार हुआ, उस पर संविधान सभा के 284 सदस्यों ने 24 नवंबर,1949 को कॉन्स्टीट्यूशन हॉल में दस्तखत किए थे। इनमें 15 महिला सदस्य थीं।
26 जनवरी को लागू करने के पीछे था खास मकसद
वैसे तो संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को ही संविधान को पारित कर दिया था लेकिन इसे लागू  करने के लिए जानबूझकर 26 जनवरी 1950 की तारीख चुनी गई क्योंकि इसी दिन 1930 में पूर्ण स्वराज की घोषणा हुई थी। इसकी याद में ही संविधान भी 26 जनवरी को ही प्रभावी किया गया।
देहरादून में हुई थी संविधान की छपाई
महान दस्तावेज संविधान की छपाई का काम देहरादून स्थित सर्वे ऑफ इंण्डिया को सौंपा गया, जिसने इसे करीब पांच साल में पूरा किया। तब संविधान की एक हजार प्रतियों प्रकाशित हुई थीं। उस प्रकाशन की एक प्रति संसद के पुस्तकालय में तो एक प्रति आज भी देहरादून में सुरक्षित है।
संविधान के अंग्रेजी संस्करण कुल 21,17,369 शब्द हैं।