हरिद्वार: लोकसभा चुनाव में कांग्रेसी प्रत्याशी भले ही दूसरे स्थान पर रहे हो यदि हरिद्वार जनपद की ही 11 विधानसभाओं की बात करें तो अमरीश कुमार को सभी 11 विधानसभाओं से सम्मानित वोट मिले हैं जबकि 6 में से 3 विधानसभाओं में बढ़त हासिल की तो 3 विधानसभाओं में लगभग मुकाबले पर रहे सिटिंग सांसद रमेश पोखरियाल की पिछली लोकसभा की जीत को मोदी लहर माना गया था यदि इस बार की जीत को भी यदि मोदी फेक्टर से जोड़ा जाए तो डॉ निशंक ने अपने 5 साल के कार्यकाल में कोई कोई उपलब्धि हासिल नहीं की है। भले ही वह ढाई लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल की हो। देखा जाए तो कांग्रेस प्रत्याशी अमरीश कुमार को चुनाव की तैयारी के लिए 5 ही दिन मिले क्योंकि उनका नाम ही नामांकन से 5 दिन पहले लोकसभा प्रत्याशी चुना गया। यदि कांग्रेस द्वारा 2 वर्ष पूर्व भी नही यदि बल्कि 1 वर्ष पूर्व लोकसभा का प्रत्याशी घोषित किया गया होता तो परिणाम विपरीत हो सकते थे। कांग्रेस प्रत्याशी ने हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र के जनपद में ही कई विधानसभाओं में जिनमें मंगलोर भगवानपुर ज्वालापुर में बढ़त हासिल की तो हरिद्वार ग्रामीण क्लियर आधी विधानसभाओं में लगभग मुकाबले पर रहे। उनकी महज 25 दिन की मेहनत में 4लाख से अधिक वोट प्राप्त करना, डॉ निशंक के 5 साल के संसदीय कार्यकाल पर सवालिया निशान उठाता है ओर इससे स्पष्ट हो जाता है कि इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर ही डॉ निशंक को जीत का स्वाद चखने को मिला है। यही कारण है जो समीक्षकों को भी सोचने पर मजबूर करता है।