इसमें सरकारी कर्मचारियों के काम करने के समय को एक घंटा बढ़ाने की सिफारिश की गई है। बता दें कि वर्तमान समय में आठ घंटे की कार्यावधि के नियम के तहत 26 दिन काम के बाद वेतन तय होता है। हालांकि इस मसौदे में राष्ट्रीय न्यूनतम वेतनमान की घोषणा शामिल नहीं है।
मसौदे में कहा गया है कि भविष्य में एक विशेषज्ञ समिति न्यूनतम वेतनमान को लेकर अलग से सरकार से सिफारिश करेगी। श्रम मंत्रालय ने सभी संबंधित पक्षों से इस मसौदे पर एक महीने में सुझाव भी मांगे हैं। दिसंबर में नियम को अंतिम रूप दिया जाएगा।
मजदूरी तय करने के लिए पूरे देश को तीन भौगोलिक वर्गों में विभाजित किया गया है। पहला, 40 लाख से ज्यादा की आबादी वाले मेट्रोपॉलिटन शहर। दूसरा, 10 से 40 लाख की आबादी वाले नॉन-मेट्रोपॉलिटन शहर और तीसरा ग्रामीण इलाके।
इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार, श्रम मंत्रालय के एक आंतरिक पैनल ने जनवरी में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि ‘भारत के लिए राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन का एकल मूल्य जुलाई 2018 तक 375 रुपये प्रति दिन निर्धारित किया जाना चाहिए।’ 9,750 रुपये के न्यूनतम मासिक वेतन के अलावा, सात-सदस्यीय पैनल ने यह भी सुझाव दिया था कि शहर में काम कर रहे कर्मचारियों के लिए 1,430 रुपये का आवास भत्ता प्रदान भी होना चाहिए।