
प्रदेश सरकार ने आज सदन के पटल पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखाकार की 31 मार्च 2018 तक समाप्त वर्ष की रिपोर्ट पेश की, कैग की इस रिपोर्ट में राज्य सरकार के वित्तीय प्रबंधन को लेकर सवाल खड़े हुए हैं, रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि जहां साल 2016-17 में राजस्व घाटा 383 करोड़ था। वहीं साल 2017-18 में यह 1978 करोड़ रुपये हो गया है।कांग्रेस ने रिपोर्ट को लेकर सरकार पर हमला किया है, कैग रिपोर्ट को लेकर कैबिनेट मंत्री और शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक का कहना है कि कैग की रिपोर्ट का ये तात्पर्य नहीं है कि सरकार ने गलत कार्य किया है। सरकार इंफ्रास्टक्चर को मजबूत करने का प्रयास कर रही है।
इससे पहले भी उत्तराखंड की पूर्व सरकार को लेकर कैग ने खुलासा करते हुए कहा था कि बडे आकार का बजट बनाकर उसे वक्त पर खर्च न कर पाना सूबे की सरकारों की आदत रही है। लेकिन हरीश रावत सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2016-17 के दौरान 31 मार्च तक 573.24 करोड़ की राशि खर्च हो जानी चाहिए थी, उसे वित्त वर्ष के आखिरी दिन सरेंडर कर दियाा गया था, प्रदेश सरकार के वित्तीय प्रबंधन की इस गंभीर खामी की पोल भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक ने खोली थी और फिर से कैग की बड़ी टिप्पणी से सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं।