मणिपुर और असम में उत्पादित होने वाला काला धान (चाको हाओ) अब उत्तराखंड में भी पैदा हो सकेगा। राज्य के प्रगतिशील काश्तकार नरेंद्र सिंह मेहरा को गौलापार में काला धान उगाने में सफलता मिली है। औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण काले चावल की बाजार में खूब मांग है।
मेहरा के अनुसार बाजार में सामान्य चावल की कीमत 25 से 150 रुपए प्रति किलो तक होती है जबकि ब्लैक राइस का भाव 250 रुपये प्रति किलो से शुरू होता है। उन्होंने बताया कि यदि इसका जैविक तरीके से उत्पादन किया जाए तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह 600 रुपए प्रति किलो तक आसानी से बिक जाता है।
उन्होंने बताया कि असोम सरकार ने काले चावल की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 2015 से विशेष प्रोग्राम भी चलाया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्लैक राइस की मांग और इसकी विशेषताओं को देखते हुए कई प्रदेशों की सरकारों ने किसानों को मुफ्त में इसका बीज भी उपलब्ध कराया।
छत्तीसगढ़ से 150 ग्राम बीज मंगाकर की पहली बार खेती
नरेंद्र मेहरा ने छत्तीसगढ़ से 150 ग्राम बीज मंगाकर पहली बार उत्तराखंड में इसकी खेती करने का निश्चय किया। उन्होंने बताया कि आज बाजार में जैविक विधि से तैयार ब्लैक राइस की कीमत छह सौ रुपये प्रति किलो है जबकि इसके बीज की कीमत 1500 प्रति किलो है।
मेहरा का दावा है कि ब्लैक राइस का प्रति एकड़ 18 से 20 क्विंटल तक उत्पादन किया जा सकता है। इसकी फसल भी केवल 135 दिन में पककर तैयार हो जाती है और सिंचाई के लिए भी ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है।
औषधीय गुणों से भरपूर है ब्लैक राइस
ब्लैक राइस की खेती टमाटर की खेती से कई गुना लाभदायक हो सकती है। काले चावल में कार्बोहाईड्रेड की मात्रा कम होने के कारण यह शूगर के रोगियों के लिए भी लाभकारी होता है। हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर, हाईकॉलेस्ट्राल, आर्थराइटिस और एलर्जी में भी ब्लैक राइस लाभकारी है।
राज्य में पहली बार गौलापार में काला धान उगाने में प्रगतिशील काश्तकार नरेंद्र मेहरा को सफलता मिली है। वैज्ञानिकों से ब्लैक राइस के औषधीय गुणों की जांच कराई जाएगी। यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो काश्तकारों को ब्लैक राइस उत्पादन के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसके लिए कार्ययोजना बनाई जाएगी।