उत्तराखंड भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील जोन पांच और जोन चार में आता है। बीती 8 फरवरी को राज्य में भूकंप के झटके महसूस किए गए, रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 4.7 बताई गयी थी। वहीं वैज्ञानिकों ने निकट भविष्य में बड़ा भूकंप आने की आशंका व्यक्त की है, रिक्टर स्केल पर जिसकी तीव्रता 8 से अधिक हो सकती है।
आईआईटी कानपुर से आई भूगर्भ वैज्ञानिकों की टीम ने रामनगर-हल्दवानी मोटर मार्ग पर स्थित गैबुआ ठाठ नामक जगह से मिट्टी के नमूने लिए हैं। वैज्ञानिको की टीम ने खुदाई के दौरान मिली मिट्टी को कब्जे में ले लिया है, और अब मिट्टी की उम्र निकालने का काम चल रहा है।
वैज्ञानिकों ने नंदपुर गैबुआ से मिले मिट्टी के नमूनो को अतिसंवेदनशील बताते हुए कहा कि प्रयोगशाला में इनकी जांच के दौरान ही पता चल पायेगा कि इस क्षेत्र में कितने व किस समय में भूकंप आये हैं। टीम ने यहां पर फिलहाल दो से तीन भूकंप आने की सम्भावना व्यक्त करते हुए कहा कि जल्द ही इस क्षेत्र में बड़ा भूकंप आयेगा। टीम में शामिल प्रो. जावेद मलिक ने बताया कि यहां पर आये भूकंप की आयु का निर्धारण करने के लिये दो से तीन मीटर गहरी व 28 मीटर लम्बी टंच से मिले नमूने बेहद कारगार साबित होंगे। करीब सात दिन की मेहनत के बाद टीम ने एक्टीव फाल्ट लाईन खोजने में सफलता प्राप्त की है। इसके अलावा टीम ने यहां की मिट्टी से कार्बन के नमूने भी जांच के लिये लिये हैं। चारकोल से भूकम्प की उम्र का निर्धारण किया जाता है। हल्के भूकम्प के बाद एक बड़े भूकम्प का क्रम चलता है।
पहले भी आ चुके हैं बड़े भूकंप
1833, 1924 तथा 2015 में बड़े भूकंप आ चुके हैं। अगला भूकंप रिएक्टर स्केल पर आठ से अधिक की क्षमता का होगा जो कि पूरे इलाके में बड़ी तबाही लेकर आयेगा। हर पांच सौ साल में भूकंप की पुनरावृत्ति होने का क्रम होने के कारण भी यह क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। यहां पर मिली मिट्टी परतों की सतह का मुआयना करने पर पता चलता है कि यह मिट्टी दो से तीन भूकंप की प्रक्रिया से गुजर चुकी है। अगले भूकंप की सटीक भविष्यवाणी के लिये इस मिट्टी से मिले नमूनों की सघन जांच आवश्यक है। भूकंप की दृष्टि से ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, अल्मोड़ा जोन चार में आते हैं।