देश में जब भी किसी चीज वस्तु या खाने-पीने की चीजों पर सब्सिड़ी छोड़ने की बात आती थी, तो भारतीय संसद की कैंटीन में मिलने वाली सब्सिड़ी मुद्दा बनकर उभरता था,सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा अक्सर छाया रहता है।अब भारतीय संसद ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए निर्णय किया है कि अब सांसदों को कैंटीन में मिलने वाली सब्सिडी पर रोक लगा दी जाएगी। सांसदों ने सर्वसम्मति से फैसला लिया है कि वह संसद की कैंटीन में मिलने वाली खाद्य सब्सिडी को छोड़ देंगे। यह फैसला लोकसभा अध्यक्ष ओम कुमार बिड़ला के सुझाव के बाद लिया गया है। देशभर में लगातार मांग उठ रही थी की सांसदों को खाने में सब्सिडी नहीं मिलनी चाहिए, सब्सिडी हटाए जाने पर पक्ष और विपक्ष दोनों ने मिलकर फैसला लिया है। संसद भवन में सालाना खाने का बिल लगभग 17 करोड़ रुपये आता है।सब्सिडी हटाए जाने के बाद कैंटीन में खाने के दाम लागत के हिसाब से तय होंगे।पिछली लोकसभा में कैंटीन के खाने के दाम बढ़ाकर सब्सिडी का बिल कम किया गया था।
2015 में रिपोर्ट्स में सामने आया था कि कैंटीन में खाने की लागत पर 80 फीसदी तक सब्सिडी दी जाती है।उस समय बीजद के सांसद बिजयंत जय पांडा ने स्पीकर को चिट्ठी लिखकर सब्सिडी खत्म किए जाने की मांग की थी।बिजयंत जय पांडा ने कहा था कि जब सरकार आर्थिक रूप से मजबूत लोगों से एलपीजी सब्सिडी वापस करने के लिए कह रही है तो सांसदों से भी कैंटीन में सब्सिडी की सुविधा वापस ले लेनी चाहिए।अब तक सांसदों को संसद की कैंटीन में काफी सस्ती दरों पर खाद्य पदार्थ मिलते हैं।
2016 में मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान कैंटीन में मिलने वाले भोजन के दाम बढ़ाए गए थे।इसके बाद अब सब्सिडी खत्म करने का फैसला लिया गया है।2016 से अब तक शाकाहारी थाली के दाम 30 रुपये हैं,जबकि 2016 से पहले इसके दाम 18 रुपये थे।
मांसाहारी थाली अब 60 रुपये में मिलती है, जबकि पहले 33 रुपये में मिलती थी। थ्री कोर्स मील अब 90 रुपये मिलता है, जबकि पहले 61 रुपये में मिलता था।
2017-18 तक संसद में चिकन करी 50 रुपये, चिकन कटलेट प्लेट 41, चिकन तंदूरी 60, फिश करी 40, हैदराबादी चिकन बिरयानी 65 और मटन करी 45 रुपये में मिलते थे। ब्रेड एंड बटर 6, वेजिटेबल कटलेट 18, चपाती 2, दाल 5, प्लेन डोसा 12, वेज थाली 35 चाय 5, उबले चावल 7, सूप 14, कॉफी 5 और थ्री कोर्स लंच 106 रुपये में मिलते थे। ये सब्सिडी वाली लिस्ट सिर्फ सांसदों के लिए थी।
संसद भवन में फूड मैनेजमेंट के लिए एक समिति बनाई जाती है।उस समिति में लोकसभा से 10 सांसद और राज्यसभा से 5 सांसद होते हैं।समिति का कार्यकाल एक साल का होता है। समिति का काम संसद भवन परिसर में स्थित रेलवे कैटरिंग यूनिटों में परोसे जाने वाले खाने की दरों में संशोधन पर विचार करना, संसद भवन परिसर में रेलवे कैटरिंग इकाइयों को चलाने के लिए दी जाने वाली सब्सिडी के स्तर पर विचार करना, सदस्यों को उत्कृष्ट कैंटीन सेवाओं के प्रावधान पर विचार करना और अन्य संबंधित मुद्दों पर विचार करना इस समिति का काम होता है।