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राज्य में फसलों को बंदरों से बचाने के लिए सरकार ने पास किया यह प्रस्ताव।

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उत्तराखण्ड के पहाड़ी क्षेत्रों में अधिकतर लोग खेती का कामकाज छोड़कर शहरों की तरफ पलायन कर चुके हैं। पलायन का कारण पहाड़ों में रोजगार न होना व अन्य सुविधाओं का अभाव रहा है। वहीं जंगली जानवरों द्वारा फसलों को नुकसान पहुंचाने के कारण भी लोगों ने खेती करना छोड़ दिया है। फसलों को सबसे अधिक नुकसान बंदरों द्वारा पहुंचाया जा रहा है। राज्य में बंदरों से खेती को होने वाले नुकसान को देखते हुए सरकार ने बंदरों को मारने का प्रस्ताव पास किया है, यह प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा जाएगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में आज सचिवालय में राज्य वन्य जीव सलाहकार बोर्ड की 15 वीं बैठक हुई, बैठक में वन मंत्री हरक सिंह रावत भी मौजूद रहे। इस दौरान वन्य जीवों से संबंधित विभिन्न बिंदुओं पर विचार विमर्श किया गया। वन मंत्री ने जानकारी देते हुए कहा कि बैठक में राज्य के विकास पर चर्चा की गई जिसमें रेलवे लाईन बिछाने, मोटर मार्ग, पेयजल योजना के कार्यों के विस्तार पर चर्चा की गई साथ ही नेशनल वाईल्ड लाईफ बोर्ड के सभी प्रस्तावों को राज्य वन्यजीव बोर्ड ने मंजूरी दी है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए यह बेहद खुशी की बात है कि प्रदेश में 2017 की तुलना में हाथियों की संख्या में 10.17% की वृद्धि हुई है।

वर्तमान में उत्तराखंड में हाथियों की कुल संख्या 2026 है। लिंगानुपात की दृष्टि से भी अन्य राज्यों की तुलना में हमारे राज्य में हाथियों का लिंगानुपात सबसे अच्छा कहा जा सकता है। प्रदेश में टाईगर की संख्या में भी वृद्धि हुई है। इस दौरान वन्य जीव संरक्षण को और अधिक बेहतर करने को लेकर भी चर्चा की गई। वहीं राज्य में खेती को बंदरों से होने वाले नुकसान को देखते हुए बैठक में बंदरों को मारने का प्रस्ताव पास हुआ है, अब ये प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाएगा। बंदरों को मारने का प्रस्ताव तो राज्य सरकार ने पास किया है, लेकिन भारत में बंदरों का धार्मिक आस्था के साथ जोड़कर भी देखा गया है, अब यह देखने वाली बात होगी कि केन्द्र सरकार राज्य सरकार के इस प्रस्ताव पर क्या निर्णय लेगी।