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आंतों में मौजूद बैक्टीरिया भी बन सकते हैं पेट के कैंसर का कारण…

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हमारे इंटेस्टाइन में लगभग 13 प्रकार के आंत बैक्टीरिया (गट बैक्टीरिया) होते हैं, जो लार्ज इंटेस्टाइन के कैंसर का कारण बनते हैं। हाल ही में आए शोध से पता चलता है कि हमारे गट बैक्टीरिया और इंटेस्टाइन के माइक्रोबायोम के कारण ही इंटेस्टाइन में कैंसर वा

इंटेस्टाइन में रहने वाले एक प्रकार के बैक्टीरिया, जिन्हें हम गट बैक्टीरिया भी कहते ये बाउल कैंसर (आंत्र कैंसर) का कारण भी हो सकते हैं। हाल ही में आए शोध की मानें, तो आंत में एक निश्चित प्रकार के बैक्टीरिया वाले लोगों को आंत्र कैंसर विकसित होने का अधिक खतरा हो सकता है। इंटेस्टेनियल माइक्रोबायम हमारे आंत के भीतर फंग्स, बैक्टीरिया और वायरस का संग्रह है। साथ ही इस बात के प्रमाण और बढ़ रहे हैं कि शरीर में माइक्रोबायोम की संरचना भी इसके पीछे का एक बड़ा कारण हो सकती है। वहीं शोधकर्ता इस बात का पता भी लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या इंटेस्टाइन के माइक्रोबायोम में कैंसर वायरस पैदा हो रहे हैं या उसके किसी खास बैक्टीरिया के कारण ही ऐसा हो रहा है। आइए हम आपको बताते हैं इस कैंसर और इससे जुड़े इस शोध के बारे में।

बाउल कैंसर क्या है?

बाउल कैंसर कैंसर का वो प्रकार है, जो हमारे लार्ज इंटेस्टाइन यानी कि बड़ी आंत में होता है।लार्ज इंटेस्टाइन में जहां ये कैंसर शुरू होता है, उसके आधार पर इस बाउल कैंसर को कभी-कभी कोलन या रेक्टल कैंसर कहा जाता है।

आंत्र कैंसर के 3 मुख्य लक्षण होते हैं। पहला- स्टूल या शौच करते वक्त लगातार ब्लिडिंग का होना। दूसरा- आपकी आंत्र की आदत में लगातार परिवर्तन, जो आमतौर पर पेट खराब होने जैसा होता है और तीसरा-लगातार निचले पेट में दर्द, सूजन या बेचैनी, जो हमेशा खाने के बाद होती है। इन तीनों के अलावा व्यक्ति में लगातार वजन कम होने लगता है और पेट की परेशानियां बढ़ने लगती हैं।

क्या कहता है शोध ?

दरअसल यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के डॉ कैथलीन वेड ने आंत्र कैंसर(बाउल कैंसर) के विकास में बैक्टीरिया द्वारा निभाई गई कार्यवाहक भूमिका की जांच की है। इसके लिए मेंडेलियन रेंडमाइजेशन नामक तकनीक का उपयोग गया और इस अध्ययन के बारे में 2019 एनसीआरआई कैंसर सम्मेलन को बताया। सम्मेलन में बताया गया कि कैसे हमारे आंत  में पहलने वाले कुछ बैक्टीरिया ही हमारे पेट से जुड़ी बीमारियों को कारण होते हैं और इसी के कारण ही हम बाउल कैंसर भी होता है। शोधकर्ताओं की मानें तो आंत्र कैंसर के खतरे 2-15% के बीच बढ़ा है, जो आने वाले दिनों में और बढ़ सकता है।

माइक्रोबायोम इस मामले में सूक्ष्मजीवों, बैक्टीरिया का एक समुदाय है, जो शरीर में स्वाभाविक रूप से होता है। इस बात के प्रमाण बढ़ रहे हैं कि माइक्रोबायोम का मेकअप मानव स्वास्थ्य और शरीर की बीमारी के लिए संवेदनशील भूमिका निभा रहा है। मानव आंत माइक्रोबायोम, जिसमें लगभग तीन ट्रिलियन बैक्टीरिया होते हैं, पाचन में सहायता करता है और संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करता है। यह एक व्यक्ति के व्यक्तिगत आनुवंशिक बनावट और उनके शरीर  द्वारा निर्धारित किया जाता है। यह किसी व्यक्ति के जीवन में अपेक्षाकृत स्थिर रहता है, जब तक कि वह एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन न करें।

डॉ कैथलीन वेड का कहना है कि उन्हें ये देखने में दिलचस्पी थी कि क्या मानव आंत माइक्रोबायोम में भिन्नता, जैसे बैक्टीरिया की संख्या या बस विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया की संख्या, आंत्र कैंसर पर प्रभाव डाल सकती है। चूहों और मनुष्यों में अध्ययन के बहुत से आंत सूक्ष्मजीव और आंत्र कैंसर के बीच एक संबंध दिखाया गया है, लेकिन बहुत कम लोगों को इसके ठोस सबूत मिले हैं। दूसरे शब्दों में, यह समझ पाना मुश्किल है कि आंत माइक्रोबायोम आंत्र कैंसर का कारण बन सकते हैं या नहीं।

अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने फ्लेमिश गट फ्लोरा प्रोजेक्ट, जर्मन फूड चेन प्लस अध्ययन और पॉपगेन अध्ययन में भाग लेने वाले 3,890 लोगों के डेटा का इस्तेमाल किया किया और इस बारे में पता लगाया है। वहीं जीनोम-वाइड एसोसिएशन स्टडीज (GWAS) ने प्रतिभागियों के जीनोम में छोटे बदलावों की खोज की, जो किसी बीमारी या विशेषता वाले लोगों में बार बार होते हैं।