नई दिल्ली: अयोध्या राम जन्मभूमि मामले को मध्यस्थ के जरिए बातचीत से सुलझाने का प्रयास होगा। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने शुक्रवार को ये फैसला लिया। साथ ही कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए तीन लोगों का पैनल गठित किया है। इस पैनल की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज इब्राहिम खलीफुल्ला करेंगे। उनके अलावा पैनल में दो सदस्य होंगे। जो कि श्री श्री रविशंकर और श्रीराम पंचू हैं। कोर्ट ने मध्यस्थता प्रक्रिया के दौरान रिपोर्टिंग पर भी रोक लगाई है।
प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधानपीठ ने बुधवार को मामला मध्यस्थता को भेजे जाने के मुद्दे पर सभी पक्षों की बहस सुनकर अपना फैसला सुनाया।
कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए कुल 8 हफ्तों का वक्त दिया है। मध्यस्थता पीठ फ़ैज़ाबाद में बैठेगी। राज्य सरकार, मध्यस्थता पीठ को सुविधाएं उपलब्ध करवाएगी। कोर्ट ने कहा है कि मध्यस्थता तुरंत शुरू हो उसे शुरू होने में एक सप्ताह से ज़्यादा वक़्त न लगे। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि मध्यस्थता पैनल को 4 हफ्तों में मामले की रिपोर्ट देनी होगी।
राम जन्मभूमि मामले में एक पक्षकार इकबाल अंसारी ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। साथ ही कहा है कि वे भी चाहते हैं कि मामला बातचीत के जरिए हल हो।
कोर्ट ने पूछी थी पक्षकारों की राय
कोर्ट ने इससे पहले मध्यस्थता के प्रस्ताव पर पक्षकारों की राय पूछी थी, जिसमें मुस्लिम पक्ष और निर्मोही अखाड़ा की ओर से सहमति जताई गई थी। रामलला, महंत सुरेश दास और अखिल भारत हिंदू महासभा ने प्रस्ताव से असहमति जताते हुए कोर्ट से ही जल्द फैसला सुनाने का आग्रह किया था। उनका तर्क था कि इस प्रकार के प्रयास पूर्व में भी हो चुके हैं, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
मालूम हो कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 अपीलें दायर की गई हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2.77 एकड़ की विवादित जमीन को तीनों पक्षों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था।