पिछली सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे अजीत डोभाल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर पांच साल के लिए नेशनल सिक्यॉरिटी ऐडवाइजर (एनएसए) नियुक्त कर दिया गया है। इसके अलावा उन्हें सरकार में कैबिनेट रैंक भी दी गई है। कैबिनेट में अब उनका कद राज्यमंत्री के बराबर होगा।
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में घुसकर आंतकियों के कैपों को नष्ट करने के सर्जिकल स्ट्राइक ऑपरेशन के पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का बड़ा हाथ था। पीओके में अंजाम दिए गए सर्जिकल ऑपरेशन की निगरानी रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और डीजीएमओ ले.जन. रनबीर सिंह कर रहे थे।
अजीत डोभाल अटल बिहारी वाजपेई के काफी भरोसेमंद माने जाते थे और अब प्रधानमंत्री मोदी के लिए भी काफी खास हो गए हैं। डोभाल जिस तरह से अपने इंटेलीजेंस ऑपरेशंस को अंजाम देते हैं, उसकी वजह से उन्हें कुछ लोगों ने भारत का ‘जेम्स बांड’ तक करार देना शुरू कर दिया था।
अजीत डोभाल के मार्गदर्शन में म्यामार में भी भारतीय सेना ने घुसकर उग्रवादियों को मौत की नींद सुला दिया था। देश की सुरक्षा में अजीत डोभाल के योगदान के देखते हुए उन्हें हिंदुस्तान का ‘जेम्स बांड’ कहा जाता है। अजीत कुमार डोभाल, आई.पी.एस. (सेवानिवृत्त), दोबारा भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाए गए हैं।
अजीत डोभाल का जन्म 1945 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में एक गढ़वाली परिवार हुआ। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अजमेर के मिलिट्री स्कूल से पूरी की थी, इसके बाद उन्होंने आगरा विश्व विद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए किया और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद वे आईपीएस की तैयारी में लग गए। वे केरल कैडर से 1968 में आईपीएस के लिए चुन लिए गए।
वे पाकिस्तान में सात सालों तक खुफिया जासूस की भूमिका में रह चुके हैं। पाकिस्तान में अंडर कवर एजेंट की भूमिका के बाद वे इस्लामाबाद में स्थित इंडियन हाई कमिशन के लिए काम किया। कांधार में आईसी-814 के अपहरण प्रकरण में अपहृत लोगों को सुरक्षित वापस लाने में अजीत की अहम भूमिका रही थी।
बता दें कि वे सबसे कम उम्र के पुलिस अफसर हैं जिन्हें विशेष सेवा के लिए पुलिस मेडल मिला है। अजीत न सिर्फ एक बेहतरीन खुफिया जासूस हैं। बल्कि एक बढ़िया रणनीतिकार भी हैं। वे कश्मीरी अलगाववादियों जैसे यासिन मलिक, शब्बीर शाह के बीच भी उतने ही प्रसिद्घ हैं जितना कि भारत के आला अफसरों के बीच हैं।