उत्तराखंड की प्राचीन लोक कला ऐपण अब खास मौकों पर घर के आंगन, देहरी और दीवारों की शोभा बढ़ाने तक सीमित नहीं रहा है। यह कला पारंपरिक शौक से बाहर एक व्यावसायिक रूप से धारण कर चुकी है। इस व्यवसाय ने कई कला पंसद युवाओं के लिए रोजगार के नए दरवाजे खोले हैं। फाइल फोल्डर, कवर से लेकर टेक्सटाइल इंडस्ट्री तक प्राचीन ऐपण कला अपनी छाप छोड़ रही है।
ऐपण कला को बढ़ावा देेने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से विशेष पहल की जा रही है। युवाओं को डिजाइन व प्रशिक्षण देने के लिए उत्तराखंड हस्तशिल्प एवं हथकरघा बोर्ड ने डिजाइनर नियुक्ति किया है। हल्द्वानी व अल्मोड़ा इसका हब बन रहा है।
रियासतकाल से चल रही आ रही उत्तराखंड की लोक कला को ऐपण कहा जाता है। अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत व परंपराओं के कारण सर्दियों से उत्तराखंड की देश दुनिया में अलग ही पहचान है। ऐपण कला कुमाऊं व गढ़वाल की गौरवमय परंपरा रही है।धार्मिक अनुष्ठानों, विशेष त्योहारों, शादी समारोह समेत खास मौकों पर घर-घर में कमेड़ा (सफेद मिट्टी), गेरू (लाल मिट्टी) से आंगन, देहरी व दीवारों को ऐपण कला से सजाया जाता था। लेकिन अब ऐपण पारंपरिक कला तक सीमित नहीं रहा है। यह कला एक व्यवसाय के रूप में फैल रहा है।
बना रोजगार का माध्यम
उत्तराखंड हस्तशिल्प एवं हथकरघा बोर्ड के प्रयासों से प्रदेश के कई हस्तशिल्पी व कला पंसद युवाओं के लिए यह रोजगार का माध्यम बन गया। स्टेशनरी, फाइल कवर, फोल्डर, पेन स्टैंड, दुपट्टा, बैग, पूजा की थाली, नेम प्लेट, चॉबी का छल्ला, टी कोस्टर समेत अन्य कई उत्पादों को को ऐपण प्रिंट से तैयार किया जा रहा है। ऐपण कला के इन उत्पादों की बाजार में खासी डिमांड है।
बचपन से ही घर में ऐपण कला को देखती आई हूं। जिससे ऐपण कला के प्रति शौक बढ़ गया। मैंने अभी ऐपण व्यवसाय को छोटे से स्तर पर शुरू किया है। लेकिन डिमांड काफी है। ऐपण डिजाइन के टी कोस्टर, पूजा की थाली, नेम प्लेट, चॉबी के छल्ले बना रही हूं। एक ट्रेकिंग ग्रुप की ओर से टी कोस्टर का आर्डर भी मिला है। दुपट्टे व टी शर्ट पर ऐपण डिजाइन की डिमांड आ रही है। प्रदेश सरकार व पर्यटन विभाग की ओर से माननीयों व अतिथियों के सम्मान में दिए जाने वाले स्मृति चिन्ह का आर्डर मिले तो इस व्यवसाय को और ज्यादा बढ़ावा मिल सकता है।
ऐपण डिजाइन की बाजार में मांग बढ़ रही है। ऐपण डिजाइन से तैयार उत्पादों को काफी पंसद किया जा रहा है। यहां तक की नए बन रहे भवनों की दीवारों पर टेक्चर की जगह ऐपण की डिमांड आ रही है। युवाओं को प्रशिक्षण व नए डिजाइन बनाने के लिए हल्द्वानी व अल्मोड़ा हब के रूप में स्थापित हो रहा है। ऐपण उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा दिया जा रहा है। युवाओं के लिए ऐपण कला रोजगार का साधन बन गया है।