पतंजलि ग्रुप ने मंगलवार को कोरोनिल टैबलेट और श्र्वासारि वटी नाम की दो दवाएं लांच की जिनके बारे में कंपनी ने दावा किया है कि ये कोरोना वायरस का आयुर्वेदिक इलाज है। दवा लांच करते हुए बाबा रामदेव ने दावा किया कि कोविड-19 की दवाओं की इस किट को दो स्तर के ट्रायल के बाद तैयार किया गया है, पहले क्लीनिकल कंट्रोल स्टडी की गई थी और फिर क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल भी किया जा चुका है।
वहीं दवा लांच होने के कुछ ही घंटे बाद आयुष मंत्रालय ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड से कहा कि वो जल्द से जल्द उस दवा का नाम और उसके घटक बताए जिसका दावा कोविड-19 का उपचार करने के लिए किया जा रहा है। साथ ही मंत्रालय ने यह भी कहा कि पतंजलि संस्थान नमूने का आकार, स्थान, अस्पताल जहां अध्ययन किया गया और आचार समिति की मंजूरी के बारे में विस्तृत जानकारी दे।
मंत्रालय ने कहा है कि पतंजलि को इस बारे सूचित किया गया है कि दवाओं के इस तरह के विज्ञापन पर रोक है। इस तरह के विज्ञापन ड्रग एंड मैजिक रिमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) कानून 1954 के तहत आते हैं। कोरोना महामारी को लेकर केन्द्र सरकार की ओर से जारी निर्देशों में भी इस बारे में साफतौर पर कहा गया है और ये आयुर्वेदिक दवाओं के विज्ञापन पर भी लागू होता है।
वहीं इस बारे में आचार्य बालकृष्ण ने इसे कम्युनिकेशन गैप बताते हुए यह दावा किया है कि उनकी कंपनी ने आयुष मंत्रालय को सारी जानकारी दे दी है, बालकृष्ण ने अपने ट्वीट में लिखा है कि यह सरकार आयुर्वेद को प्रोत्साहन व गौरव देने वाली है, क्लीनिकल ट्रायल के जितने भी तय मानक हैं, उन्हें सौ प्रतिशत पूरा किया गया है।
यह सरकार आयुर्वेद को प्रोत्साहन व गौरव देने वाली है जो communication gap था वह दूर हो गया है व Randomised Placebo Controlled Clinical Trials के जितने भी Standard Parameters हैं उन सबको 100% fullfill किया है इसकी सारी जानकारी हमने आयुष मंत्रालय को दे दी है @moayush @yogrishiramdev pic.twitter.com/0CAMPZ3xvR
— Acharya Balkrishna (@Ach_Balkrishna) June 23, 2020