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रामनगर संयुक्त चिकित्सालय का कारनामा- सेना भर्ती में जाने वाले युवाओं को बिना टेस्ट किए थमा दी फर्जी कोरोना निगेटिव रिपोर्ट, पैंसे लेने के भी लगे आरोप…

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उत्तराखण्ड के रामनगर में पीपीपी मोड में संचालित अस्पताल से कोरोना जांच के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। चिकित्सालय के लैब में कार्यरत कर्मचारियों ने बिना जांच किए ही पैसे लेकर आर्मी भर्ती की तैयारी कर रहे 100 से अधिक युवाओं को फर्जी कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट थमा दी। मामला प्रकाश में आने पर अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। युवाओं को सौंपी गई रिपोर्ट में नोडल अधिकारी प्रशांत कौशिक की फर्जी मोहर के साथ ही फर्जी तरीके से हस्ताक्षर भी किए गए हैं, मामले में अस्पताल प्रशासन व नोडल अधिकारी द्वारा आरोपी लैब कर्मचारी के खिलाफ कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराने की कार्रवाई की जा रही है।

बता दें की 20 दिसंबर से कोटद्वार में सेना भर्ती रैली चल रही है, जिसमें कोरोना निगेटिव रिपोर्ट लाने पर ही अभ्यर्थियों को प्रवेश का मौका मिलेगा, भर्ती विभिन्न जिलों के लिए अलग-अलग दिन तय की गई है। भर्ती रैली में जाने के लिए बड़ी संख्या में युवा कोरोना जांच के लिए अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं। यूथ फाउंडेशन पीरूमदारा में आर्मी भर्ती की तैयारी कर रहे युवा कोरानो टेस्ट के लिए रामनगर चिकित्सालय आए यहां लैब में कार्यरत दो कर्मचारियों द्वारा बिना जांच किए ही 100 से अधिक युवाओं को कोरोना निगेटिव सौंप दी गई। रिपोर्ट की एवज में कर्मचारियों द्वारा 500 से लेकर 1 हजार रुपए लिए जाने का भी खुलासा हुआ है।

ऐसे प्रकाश में आया मामला-

मामले का खुलासा तब हुआ कि जब युवा अपना टेस्ट कराने के लिए 20 दिसंबर को अस्पताल पहुंचे लेकिन वहां मौजूद कर्मचारियों ने बिना जांच के ही इन युवाओं की नेगेटिव की रिपोर्ट देते हुए रिपोर्ट में 27 दिसंबर की दिनांक डाल कर दे दी। जबकि 27 दिसंबर आने में अभी 6 दिन बाकी है। फाउंडेशन के निरीक्षक मंगल सिंह को इस मामले में जब शक हुआ तो उन्होंने फाउंडेशन के साथी गणेश रावत व तेजेश्वर घुघत्याल को मामला फर्जी लगने की जानकारी दी।

घटना की जानकारी एसडीएम विजय नाथ शुक्ल को दी गई एसडीएम ने इस मामले में नोडल अधिकारी डॉ. प्रशांत कौशिक को मामले की जांच के निर्देश दिए जिसके बाद नोडल अधिकारी डॉक्टर कौशिक अस्पताल पहुंचे तो रिपोर्ट देखकर वह भी चौंक गए। युवाओं को सौंपी गई रिपोर्ट में नोडल अधिकारी की मोहर तो लगाई गई थी लेकिन उस पर जो हस्ताक्षर थे वह फर्जी थे, उन्होंने बताया कि पूर्व में भी मामला उनके संज्ञान में आया था तो उन्होंने अस्पताल की लैब में रैपिड एंटीजन की किट उपलब्ध कराना बंद कर दिया था।

उन्होंने इस रिपोर्ट को भी फर्जी बताते हुए कहा कि वह इस मामले में आरोपी कर्मचारी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराएंगे क्योंकि फर्जी रिपोर्ट से विभाग की बदनामी होने के साथ ही उनकी छवि भी धूमिल हुई है, उन्होंने बताया कि रिपोर्ट पर जो हस्ताक्षर है वो उनके नहीं है। वहीं इस मामले में चिकित्सालय के एमडी डॉ. राकेश वाटर ने बताया कि इस मामले में उनकी ओर से भी कर्मचारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी।

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