उत्तराखण्ड हाईकोर्ट द्वारा मुख्यमंत्री पर लगे आरोपों की जांच सीबीआई से कराने के आदेश के बाद उत्तराखण्ड में सियासत गर्मा गई है। विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहा है। वहीं बीजेपी ने इस फैसले को कानून की गलती करार दिया है। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि हाईकोर्ट के एक फैसले पर कांग्रेस और विपक्ष दुष्प्रचार कर रहा है। याचिकाकर्ता हरेंद्र सिंह रावत द्वारा जो उमेश शर्मा के खिलाफ तहरीर दी गयी थी, उसके आधार पर केस किया गया है। यह मामला साक्ष्यों को एकत्र करने का विषय है, बावजूद इसके हाईकोर्ट ने इस एफआईआर को निरस्त कर दिया, यह फैसला कानूनन गलत हैं। हम फैसले से संतुष्ट नहीं है।
मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि मैं कोर्ट का सम्मान करता हूं, पर फैसले की निन्दा करता हूं। इस पूरे मामले में अभी तक न तो कोर्ट द्वारा मुख्यमंत्री को कोई नोटिस दिया गया है, और न ही उनको सुना गया। जबकि शिकायतकर्ता द्वारा दिये गए साक्ष्यों को शिकायतकर्ता ने स्वयं गलत माना है, उसके बाबजूद भी जो आदेश कोर्ट द्वारा दिये गए उसके खिलाफ मुख्यमंत्री की ओर से एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) दायर की गई है।