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अनोखा तितली त्यौहार – तीसरा दिन ग्रामीण परिवेश में रहने वाले लोगों को समर्पित रहा।

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रामनगर के अलाया रिसोर्ट में 1 सितंबर से तितली त्यौहार चल रहा है, जिसे स्थानीय भाषानुसार तितली त्यार नाम दिया गया है। आज त्यार का तीसरा दिवस ग्रामीण परिवेश में रहने वाले लोगों को समर्पित रहा। क्यारी एवं अन्य आस पास के युवकों एवं महिलाओं ने इस कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। प्रतिभागियों ने इस अवसर पर पर्यावरणविद संजय छिमवाल व किरन सागर से विभिन्न कीट पतंगों, तितलियों एवं चिड़ियों से होने वाले लाभों के बारे में जानकारी प्राप्त की, “कि किस प्रकार से ये नन्हें जीव भोजन श्रृंखला में अपनी विशेष भूमिका निभाते हैं।”

प्रकृति प्रेमी गौरव खुल्बे ने बताया कि अधिकांश लोग यही जानते हैं कि परागण केवल मधुमक्खियों द्वारा ही किया जाता है, और परागण का सारा श्रेय हमारे द्वारा मधुमक्खियों को दे दिया जाता है। लेकिन वास्तव में परागण में तितलियों का भी सहयोग रहता है, कुछ फूल विशेष रूप से तितलियों द्वारा परागित होते हैं, अपितु पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाते हैं।

 

ईट्रूपर्स के मनीष कुमार, फैजल रिज़वी एवम कंसलटेंट सौरभ भटटाचार्य ने इस बात पर जोर दिया कि मानव जाति की नई पौंध यानी कि नोनिहालों को कोरोना के चलते वर्चुअल कक्षाओं के माद्यम से इस प्रकार के कार्यक्रमों से जोड़ना अति आवश्यक है, ताकि वो पर्यावरण एवं प्रकृति के संरक्षण की बारीकियों को समझ सकें इसलिए तितली त्यार की कमेटी ने इस बात का समर्थन करते हुए शहर व ग्रामीण विद्यालय के बच्चों को जोड़ने हेतु प्रारम्भिक चरण में ओक-बड स्कूल की प्रधानाचार्या श्रीमती सुखदा मिश्रा ने बटरफ्लाई वर्चुअल कक्षाओं के लिए आमंत्रण स्वीकार किया है।

 

आज बटरफ्लाई वॉक के दौरान कॉमन लाइम, सारजेंट, कमांडर, ब्लू पेन्सी, डार्क क्राउडेड येलो, नेक्टर जेस्टर, टेल्ड जे, प्लेन टाइगर, ऑर्चिट टिट, सन बीम आदि तितलियां नज़र आई। इस मौके पर अलाया के एम डी नवनीत धीरज, गौरव धीरज, डॉ हेमंत बलोदी, मनोज कोठारी, बॉबी सिंह, रमेश सुयाल आदि मजूद थे।

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