प्रदेश सरकार स्वास्थ्य व्यवस्थाएं सुधारने के लाख दावे कर रही हो, लेकिन प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं और अधिक खस्ताहाल हो चुकी हैं, कोरोना संकट के कारण ये व्यवस्थाएं और अधिक चरमरा चुकी हैं। खस्ताहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का सबसे अधिक खामियाजा पहाड़ की गर्भवती महिलाओं को उठाना पड़ रहा है। बीते सप्ताह ही इलाज न मिलने के कारण दो गर्भवती महिलाओं की मौत हो चुकी है।जिसमें पहला मामला गैरसैंण से तो वहीं दूसरा मामला अल्मोड़ा से था।
और कितनी गर्भवतियों की जान लेगी प्रदेश की खस्ताहाल स्वास्थ्य व्यवस्था।
वहीं अब एक मामला रामनगर के सरकारी अस्पताल से सामने आया है, जहां प्रसव पीड़ा से तड़प रही महिला को डॉक्टरों ने भर्ती करने के बजाय पहले कोरोना टेस्ट कराने को कहा। इसके बाद महिला की हालत गंभीर होने पर महिला अस्पताल के चिकित्साधीक्षक के निर्देश पर गर्भवती को अस्पताल में भर्ती किया गया।
अल्मोड़ा जिले के मछोड़ निवासी शोभा रावत प्रसव पीड़ा के चलते रामनगर के सरकारी अस्पताल में आशा के साथ पहुंची थी। अस्पताल में डॉक्टरों ने उसे पहले कोरोना टेस्ट कराकर लाने को कहा, जबकि महिला प्रसव पीड़ा से कराह रही थीं। महिला को देखने के बाद भी डॉक्टर उसे भर्ती नहीं कर रहे थे। ऐसे में वह किसी तरह चिकित्साधीक्षक डॉ. मणि भूषण पंत के ऑफिस में पहुंची और अपनी व्यथा सुनाई।
अस्पताल के अधीक्षक ने पीपीपी मोड के डॉक्टरों को महिला को भर्ती कराने के निर्देश दिए को कहा जिसके बाद महिला को प्रसव रूम में ले जाया जाएगा, जहां उसने बेटे को जन्म दिया। महिला ने लड़के को जन्म दिया है और जच्चा बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।
प्रदेश में बीते सप्ताह ही समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण दो गर्भवतियों की मौत हो गई थी। अल्मोड़ा में डॉक्टर गर्भवती को कोरोना टेस्ट के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल दौड़ाते रहे थे, तो वहीं गैरसैंण में सही इलाज के अभाव में गर्भवती की मौत हो गई थी। जिसके चलते प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं के खिलाफ लोगों में काफी आक्रोश है। शासन ने इन दोनों मामलों की जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन फिर भी अस्पतालों की स्तिथि सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं। जिसका खामियाजा पहाड़ की गर्भवती महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है।