Home उत्तराखंड 1 जुलाई से प्रदेश वासियों को चारधाम यात्रा पर जाने की मंजूरी।

1 जुलाई से प्रदेश वासियों को चारधाम यात्रा पर जाने की मंजूरी।

1345
SHARE

बीते दिनों प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने 1 जुलाई से चारधाम यात्रा की शुरुआत करने के संकेत दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा था कि यात्रियों की दृष्टि से सीमित संख्या में सभी नियमों का पालन करते हुए चारधाम यात्रा खोलने की तैयारी है। वहीं अब प्रदेश के निवासियों को 1 जुलाई से चारधाम यात्रा करने की अनुमति दे दी गई है। देवस्थानम बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन ने इसकी जानकारी दी है। हालांकि कुछ शर्तों और प्रतिबंधों के साथ यह अनुमति दी गई है। भारत सरकार के गृह मंत्रालय व स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा एसओपी के तहत –

किसी भी कंटेनमेंट जोन और बफर जोन में निवासरत रहे निवासियों जो उत्तराखंड के निवासी हैं, लेकिन उत्तराखंड राज्य के बाहर से राज्य में आवागमन हुआ है। उन्हें तभी जाने की अनुमति दी जाएगी जब क्वारंटाइन के सभी नियमों का पालन कर चुके होंगे। इसके अलावा बद्रीनाथ-केदारनाथ की वेबसाइट में पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा, सेल्फ डिक्लेरेशन भी देना अनिवार्य होगा। ऑटो जनरेटेड ई-पास प्राप्त कर यात्रा करते समय फोटो आईडी निवास प्रमाण पत्र रखना अनिवार्य है।

यात्रा के लिए व्यक्तियों को प्रत्येक धाम क्षेत्र में यात्रा विश्राम स्थल पर अधिकतम केवल एक रात का ही व्यवस्था अनुमन्य होगी, अगर कहीं पर आपदा सड़क बाधित जैसी स्थिति होगी तभी इस को बढ़ाया जा सकता है।

वहीं राज्य के अंदर निवास करने वाले ऐसे व्यक्तियों जिनकी धाम क्षेत्र में अवस्थापना की मरम्मत रखरखाव से संबंधित कार्य करने हैं, स्थानीय प्रशासन की अनुमति से वह 1 दिन से ज्यादा भी रह सकेंगे। जिन व्यक्तियों को कोविड-19 फ्लू से संबंधित किसी प्रकार के लक्षण हो वह यात्रा नहीं कर सकेंगे।

भारत सरकार की कोविड-19 हेतु जारी दिशानिर्देश के अनुसार 65 वर्ष से अधिक वह 10 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति तथा स्वास्थ्य संबंधित मरीज यात्रा ना करें, धाम क्षेत्र में यात्रा के दौरान हैंड सैनिटाइजर व मास्क का प्रयोग तथा सामाजिक दूरी का पालन करना अनिवार्य होगा।

रावल, धर्माधिकारी, पुजारी गण आदि तथा श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य सुरक्षा के दृष्टिगत किसी भी धाम मंदिर के गर्भ गृह तथा सभा मंडल के अग्रभाग में श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित रहेगा। मंदिर प्रवेश से पूर्व हाथ धोना अनिवार्य होगा बाहर से लाए गए किसी भी प्रसाद चढ़ावे आदि को मंदिर परिसर में लाना वर्जित रहेगा। किसी देवमूर्ति को स्पर्श करना भी वर्जित रहेगा।