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देवस्थानम बोर्ड के गठन में देरी से चारधाम यात्रा की तैयारियों पर असर।

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उत्तराखण्ड़ सरकार दिसंबर माह में आयोजित विधानसभा सत्र के दौरान देवस्थानम अधिनियम लेकर आई थी। अधिनियम की अधिसूचना जारी होने के बाद भी कई मामलों को लेकर संशय बना हुआ है।जिससे अभी तक देवस्थानम बोर्ड का गठन नहीं हो पाया है।देवस्थानम बोर्ड के गठन में हो रही देरी का प्रभाव आगामी अप्रैल माह में शुरू होने जा रही चारधाम यात्रा की तैयारियों पर पड़ सकता है। पशोपेश की इस स्थिति में श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) खुलकर चारधाम यात्रा की तैयारियां नहीं कर पा रही है।
अभी यह भी स्पष्ट नहीं है कि अधिनियम के लागू होने के बाद श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति की स्थिति क्या होगी। श्राइन बोर्ड की तर्ज पर चारों धामों के लिए देवस्थानम अधिनियम के तहत प्रदेश में गठित होने वाले बोर्ड की घोषणा अभी नहीं हुई है।पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर के मुताबिक शासन ने बोर्ड गठन का प्रस्ताव मुख्यमंत्री को भेज दिया है। मुख्यमंत्री की ओर से निर्देश प्राप्त होते ही इस पर अग्रिम कार्यवाही की जायेगी। दरअसल, चारधाम विकास परिषद और श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति का भविष्य इस बोर्ड के गठन पर निर्भर है। इसी तरह चारों धामों के मंदिरों की प्रबंधन व्यवस्था को लेकर भी स्थिति साफ नहीं है। चारधाम यात्रा अप्रैल माह से शुरू हो रही है। गंगोत्री व यमुनोत्री मंदिर के कपाट भी अप्रैल माह में ही खुल जाएंगे। इसके तुरंत बाद ही बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम की यात्रा भी शुरू हो जाएगी। ऐसे में चार धाम यात्रा की तैयारी के प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है।
श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) चारधाम यात्रा से पूर्व इन तैयारियों को अंजाम देती है- कपाट खुलने के एक माह पूर्व बीकेटीसी की एक टीम बदरीनाथ और केदारनाथ जाकर मंदिरों का निरीक्षण करती है। बर्फवारी से कोई टूट-फूट होने पर उसकी मरम्मत की जाती है। बीकेटीसी की सूची में शामिल बड़े दान-दाताओं से कपाट खुलने से काफी पहले सम्पर्क कर पूछा जाता है कि वे मंदिर की किस व्यवस्था के लिये कितना दान दे रहे हैं। धाम से जुड़े हकहकूकधारियों की उनके अधिकारों के आधार पर मंदिर में ड्यूटी लगाई जाती है। ताकि व्यवस्था बनाने में दिक्कतें न हों।

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