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जेएनयू हिंसा पर देशभऱ के छात्रों में उबाल, तो वहीं सियासत भी हुई गर्म।

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जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में रविवार को हुई हिंसा के विरोध में मुंबई-पुणे, कोलकाता समेत देश के कई हिस्सों में बड़ी संख्या में छात्र सड़कों पर उतर आए हैं।वहीं आज पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है।पुलिस का कहना है कि सीसीटीवी और सोशल मीडिया को जांच का आधार बनाया जाएगा।एम्स में भर्ती सभी छात्रों को छुट्टी दे दी गई है और केंद्रीय गृह मंत्रालय भी इस पूरे मामले पर नजर रखे हुए है।इसको लेकर अब राजनीति भी तेज हो गई है।
कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जेएनयू हिंसा पर कहा है कि भारत के युवाओं और छात्रों की आवाज रोजाना रौंदी जा रही है। सत्तारूढ़ मोदी सरकार की शह पर गुंडों द्वारा भारत के युवाओं पर भयावह और अभूतपूर्व हिंसा की गई, यह बहुत ही निराशाजनक और अस्वीकार्य है।वहीं पूर्व वित्त मंत्री व कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने ने कहा यह घटना शायद सबसे बड़ा सबूत है कि हम तेजी से अराजकता की तरफ बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह घटना भारत की राजधानी में अग्रणी यूनिवर्सिटी में गृहमंत्री, एलजी और पुलिस आयुक्त की निगरानी में हुई।
चिंदबरम ने कहा कि हम मांग करते हैं कि हिंसा के अपराधियों की पहचान की जाए और उन्हें 24 घंटे के भीतर गिरफ्तार कर न्याय किया जाए। हम यह भी मांग करते हैं कि अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए और तुरंत कार्रवाई की जाए।
वहीं केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ने कहा कि विश्वविद्यालय शिक्षा के लिए हैं, और इन्हें कभी भी राजनीतिक आधार नहीं बनाना चाहिए। जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।विश्वविद्यालयों को राजनीति का ‘अड्डा’ कभी नहीं बनने देंगे।
भाजपा के सहयोगी दल जदयू ने जेएनयू परिसर में हुई हिंसक गतिविधियों की कड़ी निंदा करते हुए कुलपति को हटाने की मांग की है। और रविवार रात को हुई हिंसा के मामले में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की।