सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है कि देश में बिकने वाले चिप्स, बर्गर, पिज्जा जैसे फास्ट फूड में वसा और नमक खतरनाक स्तर तक प्रयोग में लाए जा रहे हैं, यह मानव स्वास्थ के लिए हानिकारक हैं। इस शोध के नतीजे जारी करते हुए सीएसई की महानिदेशक सुनिता नारायण ने कहा हमने सभी पैकेज्ड फूड और फॉस्टफूड के नमूनों में नमक और वसा के खतरनाक स्तर पाए हैं, जो हमने परीक्षण किए हैं। उन्होंने कहा आम जन को यह जानने का अधिकार है कि पैकेज में हमें क्या परोसा जा रहा है।रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य पदार्थ में पोषण संबधी जानकारी हर पैक पर साफतौर पर पढ़े जाने लायक लेबल लगाने के लिए सख्त मानक और मजबूत कानून की जरूरत है।लेकिन इस पर एफएसएसएआई की भूमिका बहुत सार्थक नहीं है। क्योंकि उसने अब तक अपने स्वयं के मसौदा लेबलिंग विनियमन को अधिसूचित नहीं किया है।
जांच में पाया गया जो फास्टफूड अभी भारतीय बाजार में उपलब्ध हैं।उसमें से ज्यादातर भारतीय खाद्य सुरक्षा के मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के तय मानकों से बिलकुल विपरीत है। शीतल-पेय में कीटनाशक, ब्रेड में पोटेशियम ब्रोमेट, शहद और चिकन में एंटीबायोटिक्स बहुतायत में प्रयोग हो रहे हैं। इस अध्ययन में ईएमएल ने 33 लोकप्रिय फास्टफूड्स में नमक, वसा, ट्रांसफैट और कार्बोहाइड्रेट की जांच की। जिसमें चिप्स, नमकीन, इंस्टेंट नूडल्स, और तुरंत बनने वाले सूप के 14 नमूने लिए । इसके अलावा बर्गर, फ्राइज, फ्राइड चिकन, पिज्जा, सैंडविच के नमूने शामिल हैं। इन नमूनों को राजधानी स्थिति सेंटरों से लिया गया जहां से इन्हें पूरे देश में सप्लाई के लिए भेजा जाता है।