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चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को लेकर NASA ने किया बड़ा खुलासा, क्रैश साइट से 750 मीटर दूर तलाशे 3 टुकड़े…

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Chandrayaan-2 इस साल सितंबर में दुर्घटनाग्रस्त हुए विक्रम लैंडर को नासा ने सोमवार को ढूंढ निकाला है। नासा ने अपने लूनर रेकॉन्सेन्स ऑर्बिटर द्वारा ली गई तस्वीर जारी की है।अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को लेकर बड़ा खुलासा किया है. NASA ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि उसके उसका लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर (LRO) ने चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को ढूंढ लिया है.

नासा ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि उसके उसका लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर (LRO) ने चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को ढूढ़ लिया है। नासा के दावे के मुताबिक चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का मलबा उसके क्रैश साइट से 750 मीटर दूर मिला। मलबे के तीन सबसे बड़े टुकड़े 2×2 पिक्सेल के हैं। नासा ने रात करीब 1:30 बजे विक्रम लैंडर के इम्पैक्ट साइट की तस्वीर जारी की और बताया कि उसके ऑर्बिटर को विक्रम लैंडर के तीन टुकड़े मिले हैं।

इसके साथ ही नासा ने एक बयान जारी कर कहा है कि तस्‍वीर में नीले और हरे डॉट्स के माध्‍यम से विक्रम लैंडर के मलबे वाला क्षेत्र दिखाया गया है। बता दें कि 7 सितंबर को इसरो द्वारा भेजा गया चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर लैंडिंग के निर्धारित समय से कुछ समय पहले संपर्क खो दिया था।

नासा के मुताबिक विक्रम लैंडर की तस्वीर एक किलोमीटर की दूरी से ली गई है. इस तस्वीर में सॉइल इम्पैक्ट भी देखा गया है, तस्वीर साफ तौर पर देखा जा सकता है कि चांद की सतह पर जहां विक्रम लैंडर गिरा वहां सॉइल डिसटर्बेंस (मिट्टी को नुकसान) भी हुआ है.

बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने नासा से संपर्क साधा है और विक्रम लैंडर के इम्पैक्ट साइट की जानकारी मांगी है. जानकारी के मुताबिक नासा इसरो को एक पूरी रिपोर्ट सौंपेगा जिसमें विक्रम लैंडर से संबंधित ज्यादा जानकारी मिल सकेगी.इससे पहले अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने विक्रम के बारे में सूचना देने की उम्मीद जताई थी, क्योंकि उसका लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर (एलआरओ) उसी स्थान के ऊपर से गुजरने वाला था, जिस स्थान पर भारतीय लैंडर विक्रम के गिरने की संभावना जताई गई थी.

गौरतलब है कि भारत के चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम (Vikram) का 7 सितंबर 2019 की रात को इसरो मुख्‍यालय से संपर्क उस वक्‍त टूट गया जब वह चांद की सतह से केवल 2.1 किलोमीटर की दूरी पर था। भारतीय वैज्ञानिकों का मनोबल न टूटे इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी ने इसरो मुख्‍यालय पहुंचकर वैज्ञानिकों का हौसला आफजाई किया। इसरो की ओर से घटना के बारे में उस समय विस्‍तार से जानकारी दी गई थी। दुनिया के वैज्ञानिकों का कहना है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation, ISRO) का मिशन चंद्रयान-2 फेल नहीं हुआ है।

 

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