किसानों से लेकर युवा शोधार्थियों तक के लिए उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय 12 नए कोर्स शुरू करने जा रहा है। इन पाठ्यक्रमों की कार्ययोजना तैयार हो चुकी है। इसी साल से इनकी शुरुआत की जा रही है। जल्द अकादमिक परिषद की बैठक में इन पर मुहर लगेगी।
आयुर्वेद विवि वर्तमान में केवल बीएएमएस, बीयूएएमएस, बीएचएमएस जैसे कोर्स ही संचालित कर रहा है। अब इसने नए सत्र 2019-20 से 12 नए कोर्स शुरू करने की तैयारी की है। इनमें प्रदेश में छिपी जड़ी बूटियों को निकालकर उनसे रोजगार पैदा करने को भी लक्षित किया है। लिहाजा, तय किया गया है कि किसानों को दो-दो माह के शॉर्ट टर्म कोर्स कराए जाएंगे।
पीएचडी की शुरुआत इसी साल से
इन पाठ्यक्रमों में उन्हें केवल उनके क्षेत्र की जड़ी बूटियों की पहचान करने के तरीके और इसे तैयार कर बाजार तक पहुंचाने की प्रक्रिया समझाई जाएगी। इन जड़ी बूटियों से किस तरह से वह हर साल लाखों की कमाई कर सकते हैं, इस पर भी फोकस किया गया है।
इसके अलावा आयुर्वेद में पीएचडी की शुरुआत इसी साल से की जा रही है। जड़ी-बूटी प्रदेश में आयुर्वेद के छिपे हुए ज्ञान को आगे लाने से लेकर प्रदेश में फैलने वाली बीमारियों को जड़ से खत्म करने के मकसद से पीएचडी की शुरुआत की जा रही है। इसके लिए भी जल्द आवेदन प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
अकादमिक परिषद की बैठक में लगेगी मुहर
आयुर्वेद विवि के इन नए 12 पाठ्यक्रमों पर अकादमिक परिषद की बैठक में मुहर लगनी है। इसके लिए जल्द अकादमिक परिषद की बैठक बुलाई जा रही है। उसके बाद इनमें दाखिला प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
जहां होंगे किसान, वहीं पहुंचेगा विवि
पहली बार शुरुआत की जा रही है, जिसके तहत किसान प्रदेश के जिस क्षेत्र के रहने वाले होंगे। वहीं आयुर्वेद विवि की टीम पहुंचेगी। प्रदेश के सबसे दुर्गम क्षेत्रों तक पहुंचकर किसानों को जड़ी-बूटियों के शॉर्ट टर्म कोर्स पढ़ाए जाएंगे।
हमने 12 नए कोर्स डिजाइन किए हैं। इन पाठ्यक्रमों को प्रदेश की जरूरतों के हिसाब से तैयार किया है। हमारा मकसद किसानों की आय बढ़ाने के तरीके खोजने के साथ ही युवाओं को इस दिशा में शोध के प्रति प्रेरित करना है। सभी नए कोर्स इसी साल से शुरू होंगे।
-प्रो. अभिमन्यु कुमार, कुलपति, उत्तराखंड आयुर्वेद विवि