नई दिल्लीः देश में ऑटोमोबाइल सेक्टर में भारी गिरवाट देखने को मिल रही है. कार बनाने वाली कंपनियों को पैसेंजर व्हीकल की डिमांड में भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है. डिमांड में कमी के कारण हजारों गाड़ियां शोरूम में खड़ी है. कार की बिक्री में कमी को लेकर सबसे बड़ी वजह जीसटी का स्लैब सबसे ज्यादा होना बताया जा रहा है. इसके अलावा देश में नौकरी की धीमी गति, तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण भी कार की मांग में गिरावट देखने को मिली है.
कई बड़ी ऑटो कंपनियां जैसे मारुति सुजुकी, महिंद्रा और टाटा मोटर्स ने अपने पिछले प्रोडक्शन के स्टॉक को खत्म करने के लिए फिलहाल अपने प्रोडक्शन पर रोक लगा दिया है. इन कंपनियों ने जून के महीने में प्लान्ट को कुछ दिनों के लिए शटडाउन करने की घोषणा की है.
कंपनी अगर ज्यादा दिन तक शटडाउन होती है तो कई लोगों के नौकरी जाने का भी खतरा हो सकता है. इस सेक्टर से भारी संख्या में कामगार जुड़े हुए हैं. वहीं, घरेलू यात्री कारों की बिक्री में कमी मई में भी देखने को मिली. इस दौरान 26.03 फीसदी की गिरावट देखने को मिली. उद्योग विशेषज्ञों के मुताबिक, कम मांग व हाई इंटरेस्ट रेट के कारण इसकी खरीद पर असर पड़ा है.
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्स (सियाम) के अनुसार, घरेलू बाजार में यात्री कारों की बिक्री मई 2018 के दौरान बेची गई 199,479 यूनिटों से घटकर 147,546 यूनिट रही.
यात्री वाहनों के अन्य ब्रांचों में भारत में बेचे जाने वाले गाड़ियों की संख्या मई 2019 में 5.64 प्रतिशत घटकर 77,453 यूनिट हो गई, जबकि 14,348 वैन पिछले महीने बेची गईं थी, जो 2018 से 27.07 फीसदी कम थीं. अगर सभी वाहनों की बिक्री को देखें तो यह मई में कुल 20.55 फीसदी की कमी देखने को मिली. मई महीने में 301,238 यूनिट से 239,347 यूनिट पर पहुंच गई.