रिश्तों ने धोखा दिया, लेकिन इनका हौसला उम्र के आगे नहीं झुका। जी हां हम यहां बात कर रहे हैं 92 साल की संतोष देवी की। इनकी कहानी आज के युवाओं के लिए एक प्रेरणा भी है।
उम्र के इस पड़ाव में भी संतोषी देवी अपनी मेहनत की कमाई से ही रोटी खाना पसंद करती हैं। किसी का सहारा न होने पर भी उन्हें किसी से मांगकर खाना पसंद नहीं है। इसके लिए वे दिन भर धूप, गर्मी, बरसात, ठंड सब सहकर भी अपनी पैरों पर खड़ी हैं।
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जिला बिजनौर के अफजलगढ़ की रहने वाली संतोष देवी हरकी पैड़ी पर दिन भर थैले बेचती हैं। इन्हें बेचकर जो कमाई होती है उससे ही वे अपना अपनी गुजर-बसर कर रही हैं
हरकी पैड़ी के पास संजय पुल का प्लेटफार्म बुजुर्ग महिला का आशियाना बना है। पहले वृद्धावस्था पेंशन मिलती थी लेकिन वो किसी ने बंद करवा दी। उनका कहना है कि जब तक मुझमे जान है तब तक मैं खुद ही कमाकर खाऊंगी।
संतोषी देवी की कहानी रिश्तों के स्याह पहलू को भी बयां करती है कि, बेटी ने ही अपनी मां को इस उम्र के आखिरी पड़ाव में दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर कर दिया।
मां की सारी जमीन बेचकर बेटी अपने पति के साथ चली गई। लेकिन संतोष देवी अब इसी बात का सुकून करती हैं कि वे खुद के दम पर रहकर जिंदगी जी रहीं है।