लैब की तरफ से जारी एक बयान के अनुसार, हाई रिस्क एचपीवी संक्रमण के लिए 2014 से 2018 के बीच देश भर में 4500 महिलाओं की ग्लोबल स्टैण्डर्ड मॉलिक्यूलर तरीके से जांच की गई। इनमें से कुल 8 फीसदी महिलाओं में हाई-रिक्स एचपीवी संक्रमण पाया गया। बयान में लैब के आर एंड डी और मॉलीक्यूलर पैथोलोजी के अडवाइजर और मेंटर डॉ बी.आर. दास ने कहा है, ‘एचपीवी वायरसों का एक समूह है, जो दुनिया भर में आम है। एचपीवी के 100 से ज्यादा प्रकार हैं, जिनमें से 14 कैंसर कारक (हाई रिस्क टाईप) हैं। एचपीवी यौन संपर्क से फैलता है और ज्यादातर लोग यौन क्रिया शुरू करने के कुछ ही समय बाद एचपीवी से संक्रमित हो जाते हैं।’
महिलाओं में मौत का चौथा सबसे बड़ा कारण
दास ने कहा कि ‘सर्वाइकल कैंसर यौन संचारी संक्रमण है, जो विशेष प्रकार के एचपीवी से होता है। सर्वाइकल कैंसर और प्रीकैंसेरियस घाव के 70 फीसदी मामलों का कारण दो प्रकार के एचपीवी (16 और 18) होते हैं।’ सर्वाइकल कैंसर दुनिया भर में महिलाओं में कैंसर के कारण होने वाली मौतों का चौथा सबसे बड़ा कारण है। इंटरनैशनल एजेन्सी फॉर रीसर्च ऑफ कैंसर द्वारा जारी एक रपट के अनुसार, इसके मामलों की दर 6.6 फीसदी तथा मृत्यु दर 7.5 फीसदी है।
शुरुआती स्टेज में पता चल जाए तो सर्वाइकल कैंसर का इलाज संभव
मानव विकास सूचकांक में सर्वाइकल कैंसर के मामलों और इसके कारण मृत्यु दर स्तन कैंसर के बाद दूसरे स्थान पर है। बयान के अनुसार, सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए मुख्य टेस्ट हैं- पारम्परिक ‘पैप स्मीयर’ और ‘लिक्विड बेस्ड सायटोलोजी टेस्ट’, ‘विजुअल इन्स्पैक्शन विद एसीडिक एसिड’ और ‘एचपीवी टेस्टिंग फॉर हाई रिस्क एचपीवी टाईप’। एक अनुमान के मुताबिक सर्वाइकल कैंसर कम विकसित क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं में कैंसर का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। 2018 में सर्वाइकल कैंसर की वजह से 3 लाख 11 हजार महिलाओं की मृत्यु हुई, जिनमें से 85 फीसदी से ज्यादा मौतें निम्न और मध्यम आय वर्ग वाले देशों में हुईं। लेकिन सर्वाइकल एकमात्र कैंसर है, जिसकी रोकथाम संभव है, अगर शुरुआती स्टेज में इसका पता लग जाए तो।