नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष खत्म होने में अब सिर्फ कुछ की महीने बचे हैं। इस समय अधिकांश निवेशक उन विकल्पों की तलाश में हैं जहां उनका निवेश बढ़े भी और टैक्स का बचत भी हो। अगर आप भी ऐसे ही किसी निवेश विकल्प की तलाश में हैं तो एसबीआई का एक फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट इसमें आपकी मदद कर सकता है। आप एसबीआई के नेट बैंकिंग अकाउंट के जरिए भी एफडी में निवेश कर सकते हैं।
टैक्स सेविंग एफडी की मैच्योरिटी की अवधि: टैक्स सेविंग स्कीम के अंतर्गत टर्म डिपॉजिट का मिनिमम टैन्योर 5 वर्ष का होता है और इसकी अधिकत मैच्योरिटी अवधि 10 वर्षों की है।
लॉक इन पीरियड: टैक्स सेविंग एफडी का लॉक इन पीरियड 5 वर्षों का है, जो कि निवेश की तारीख से शुरु होता है।
कितना कर सकते हैं निवेश: आप 1000 रुपये के न्यूनतम निवेश के साथ इस खाते को खोल सकते हैं। एक वित्त वर्ष के दौरान इस स्कीम के अंतर्गत किया जाने वाला अधिकतम निवेश 1.50 लाख रुपये ही हो सकता है।
कौन कर सकता है निवेश और उठा सकता है फायदा: एफडी अकाउंट में खाताधारक का वही नाम होना चाहिए जो कि उसके सेविंग और करंट अकाउंट में है जिससे फंड डिपॉजिट अकाउंट में ट्रांस्फर किया जाता है। हालांकि साझा खाते की सूरत में सिर्फ पहला होल्डर (खाताधारक) ही आयकर की धारा 80C के अंतर्गत टैक्स छूट का दावा कर सकता है।
एफडी अकाउंट को ऑनलाइन तरीके से कैसे खोलें: अगर आपके पास ट्रांजेक्शन राइट के साथ नेट बैंकिंग अकाउंट है या फिर आपके पास लिमिटेड ट्रांजेक्शन राइट है, तो आप ऑनलाइन माध्यम से अपना एफडी अकाउंट खोल सकते हैं। हालांकि इसके लिए आपको अपने नेट बैंकिंग अकाउंट को लॉग-इन करना होगा।
नॉमिनी को कैसे जोड़ें: इस स्कीम के अंतर्गत खाता खोलते समय आपको नेट बैंकिंग अकाउंट के नॉमिनी को एफडी अकाउंट का नॉमिनी बनाए रखने का विकल्प मिलता है। हालांकि नॉमिनी को एड करने के लिए अपने बैंक का शाखा में जाना होगा।
टैक्स सेविंग एफडी पर मिलने वाला ब्याज: टैक्स सेविंग एफडी पर मिलने वाला ब्याज समय समय पर बदलता रहता है। इसे आप ‘व्यू करेंट इंटरेस्ट रेट’ स्टेट्स पर क्लिक करके जान सकते हैं। हालांकि समान्य लोगों की तुलना में सीनियर सिटिजन को थोड़ा ज्यादा ब्याद दिया जाता है।
लोन और प्रीमैच्योर निकासी: आप टैक्स सेविंग एफडी पर आप न तो लोन ले सकते हैं और न ही आप इसमें जमा राशि को मैच्योरिटी से पहले निकाल सकते हैं। इसे आप 5 वर्ष की मैच्योरिटी खत्म होने के बाद ही निकाल सकते हैं।
मैच्योरिटी की राशि को कैसे निकाल सकते हैं आप: मैच्योरिटी की राशि वापस उसी बैंक अकाउंट में ट्रांस्फर कर दी जाती है जिससे निवेश राशि एफडी अकाउंट खोलने के लिए ट्रांस्फर की जाती है।
टैक्स बेनिफिट्स: फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश की गई राशि आयकर की धारा 80C के अंतर्गत टैक्स कटौती का क्लेम करने योग्य होती है, हालांकि इससे अर्जित होने वाला ब्याज टैक्स के दायरे में आता है। यानी आपको इस पर ब्याज अदायगी करनी होती है।