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पहाड़ में गर्भवती महिला की दर्दनाक मौत, इलाज वक्त पर मिलता तो वो आज जिंदा होती

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पहाड़ की महिलाओं का जीवन पहाड़ जैसी चुनौतियों से भरा है, उस पर बद्हाल स्वास्थ्य सेवाएं कोढ़ पर खाज काम कर रही हैं। स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली की कीमत महिलाओं को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है। ऐसा ही एक मामला कर्णप्रयाग में सामने आया है, जहां अस्पताल की लापरवाही से गर्भवती की मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक 24 जनवरी को सुभाषनगर में रहने वाली भारती को उसके परिजन तबियत बिगड़ने पर अस्पताल लेकर गए थे, लेकिन क्योंकि भारती की डिलीवरी डेट 5 फरवरी बताई गई थी, ऐसे में अस्पताल वालों ने सामान्य चेकअप कर उसे घर जाने को कह दिया। परिजनों को लगा कि सब सामान्य है, ऐसे में वो भारती को घर लेकर आ गए, लेकिन रात 3 बजे भारती की तबियत दोबारा बिगड़ गई। 25 जनवरी को परिजन उसे दोबारा अस्पताल लेकर गए तो पता चला कि बच्चा मां के पेट में दो दिन पहले ही मर चुका है। जब परिवार वालों ने ये सब सुना तो दंग रह गए।

आनन-फानन में डॉक्टर्स ने भारती का ऑपरेशन किया, लेकिन वो होश में नहीं आ सकी। ऑपरेशन के बाद भारती ने दम तोड़ दिया। बड़ा सवाल ये है कि जब गर्भ में पल रहे बच्चे की पहले ही मौत हो गई थी, तो 24 जनवरी को जांच के दौरान भारती और उसके परिजनों को ये बात बताई क्यों नहीं गई। समय पर सही जांच होती, और भारती को समय पर इलाज मिल पाता तो शायद आज वो अपने परिवार के बीच होती। पहाड़ में अस्पताल की लापरवाही से महिला की मौत का ये पहला मामला नहीं है। इस तरह के मामले लगातार सामने आ रहे हैं, लेकिन दोषिय़ों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की जाती। कुल मिलाकर कहें तो कर्णप्रयाग में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही ने प्रसूता की जान ले ली। महिला के पेट में पल रहे बच्चे की 2 दिन पहले ही मौत हो चुकी थी, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने ये बात उन्हें पहले नहीं बताई। इस लापरवाही की कीमत महिला को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।