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आज रात से रुक जाएंगे रोडवेज बसों के पहिये, हजारों यात्री होंगे ‘बेबस’

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अधिकारी कर्मचारी संयुक्त सभा में विभिन्न संगठनों ने सरकार पर परिवहन निगम को बंद करने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। उन्होंने 15 जनवरी की रात से प्रदेश भर में कार्य बहिष्कार और सरकार के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है। हड़ताल से कुमाऊं में रोडवेज की बस में यात्रा करने वाले 80 हजार यात्रियों के बेबस हो जाएंगे।

रोडवेज के सभी संगठन सरकार के राष्ट्रीय राजमार्ग और राज्य राजमार्ग में प्राइवेट बसों को परमिट देने का विरोध कर रहे हैं। शासन में हुई वार्ता विफल होने के बाद सोमवार को कर्मचारी संयुक्त मोर्चे ने हल्द्वानी रोडवेज डिपो में आम सभा का आयोजन किया। आम सभा में 15 जनवरी के रात से हड़ताल करने का निर्णय लिया गया।

वक्ताओं ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय मार्गों पर निजी वाहन संचालकों को परमिट जारी कर रही है जबकि   इन मार्गों पर निगम की पर्याप्त बस सेवाएं संचालित हैं और निगम प्रर्याप्त आय भी अर्जित कर रहा है। वक्ताओं ने कहा कि सरकार की ओर से 16 जनकल्याणकारी योजनाएं संचालित हो रही है। सरकार को इसके एवज में निगम को 55 करोड़ रुपया देना है। पैसा नहीं मिलने के कारण कर्मचारियों को तीन माह से वेतन नहीं  मिल पा रहा है। सभा में हल्द्वानी, भवाली रानीखेत, अल्मोड़ा, रामनगर, काशीपुर, रुद्रपुर, काठगोदाम डिपो के कर्मचारी मौजूद रहे।

अध्यक्षता मुकेश वर्मा और संचालन डूंगर सिंह संभल ने किया। इस दौरान विक्रम डंगवाल, कमल पपनै,  वीके शर्मा, हरीश चंद आर्य, चंद्रशेखर शर्मा, भूपेंद्र अधिकारी, आन सिंह जीना, प्रेम दुम्का, बालमुकुंद सुयाल, राम अवध यादव,किशन चंद आर्य, जगमोहन आर्या, राजेश कोहली, आरएस नेगी, नवनीत कपिल, एचआर बहुगुणा आदि मौजूद रहे।

वहीं उत्तराखंड रोडवेज अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने बुधवार से कार्य बहिष्कार का एलान किया। मोर्चा द्वारा सरकार से कुमाऊं में रोडवेज के रूट पर निजी बसों के संचालन का शासनादेश निरस्त करने की मांग की गई। साथ ही निगम की 80 करोड़ की बकाया धनराशि जारी करने की मांग पूरी न होने पर आक्रोश है।

आईएसबीटी परिसर में हुई आमसभा को संबोधित करते हुए उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के महामंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि कुमाऊं में रोडवेज के रूटों पर निजी बसों को चलाने का फैसला गलत है। इससे परिवहन निगम को नुकसान होगा। पहले से ही निगम घाटे में चल रहा है। सरकार इस पर सुधार के बजाय इसे और गर्त में ले जा रही है।