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पपीते के पत्तों का जूस बचाएगा डेंगू से, उत्तराखंड आयुर्वेद विवि ने किया शोध, दवा का होगा पेटेंट

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पपीते के पत्तों का रस या काढ़ा डेंगू के मरीजों के लिए वरदान साबित हो सकता है। उत्तराखंड आयुर्वेद विवि के शिक्षकों ने शोध कर इसका दावा किया है। शोध एक अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। अब विवि इससे दवा विकसित करने के लिए पेटेंट कराने की तैयारी कर रहा है।

आयुर्वेद विवि के कुलपति प्रो. अभिमन्यु कुमार के निर्देशन में बायोमेडिकल संकाय के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. दीपक कुमार सेमवाल, आयुर्वेद संकाय के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. नवीन जोशी व उनके सहकर्मी डॉ. आशुतोष चौहान, अंकित कुमार और सोनाली असवाल ने यह शोध किया है। शोध में उन्होंने बताया कि पपीते का काढ़ा एक ओर जहां खून का थक्का बनने से रोकता है वहीं दूसरी ओर यह कम प्लेटलेट्स वाले मरीजों में प्लेटलेट्स की संख्या भी बढ़ाता है। इस शोध को उन्होंने चूहों पर अप्लाई किया है।

‘करेंट ट्रेडिशनल मेडिसिन’ नामक अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका ने इसे प्रकाशित भी किया है। यह उन मरीजों के लिए भी कारगर हो सकता है जो खून को पतला करने के लिए नियमित रूप से एस्पिरिन आदि दवाओं का इस्तेमाल करते हैं।

शोध में महर्षि मार्कण्डेश्वर विवि हरियाणा के प्रो. आरएस दहिया, राजकीय पीजी कॉलेज ऋषिकेश की डॉ. रुचि बडोनी सेमवाल ने सहयोगी की भूमिका निभाई। डॉ. नवीन जोशी ने बताया कि यह शोध आने वाले समय मे डेंगू से पीड़ित रोगियों में प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए कारगर साबित होगा। इसकी पुष्टि हो चुकी है। आनेवाले समय में इस पर और अधिक शोध कर दवा विकसित कर विवि इसका पेटेंट कराएगा।

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