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जिस प्रकार से पूर्व में आलोक शर्मा द्वारा किये गए करोड़ों का खुलासा से राजधानी देहरादून में महीनों तक चर्चों में रहा। जिसके बाद कुछ लोगों ने पेयजल अधिशाषी अभियंता की आय से अधिक सम्पति की चलाये जा रहे खबर को फेक व निराधार करार दिया। तो पेयजल अधिकारी ने अपने पत्नी को आगे कर झूठा मुकदमा तक दर्ज करवा दिए। बाबजूद भी आलोक शर्मा उस पेयजल अधिकारी पर मानो चट्टान साबित हुए। पत्रकार को नीचा दिखाने के लिए पेयजल अधिकारी ने अपने रसूख व रुपयों भरपूर आजमाईश किया। परन्तु वह सब के सब धरा का धरा रह गया। और अभी दो दिन पहले उस भ्रष्ट अधिकारी को पेयजल विभाग ने बर्खास्त कर दिया है। साथ ही भ्रष्ट अधिकारी की आय से अधिक संपत्ती व विभागीय अनेकों अनियमिताएं की ओपन जांच भी शरू कर दी गयी है । हालिया विभागीय कार्यवाही से एक सच्चे व कर्मठ पत्रकार का सर् फक्र से ऊंचा करने जैसा है। जो कभी न टूटा न ही झुका और सत्यता के मार्ग पर चलता रहा। वेशक इस कामयाबी में एक वर्ष से अधिक लगे है। परंतु आज यह कहावत सच कर दिया है कि सांच को आंच नहीं। मैं ऐसे कर्मठ व निष्ठावान पत्रकार के जज़्बे को सलाम करता हूं।

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