अब तक भारत में स्डूडेंट्स को उच्च शिक्षा के लिए एजुकेशन लोन तो मिलता है, लेकिन पढ़ाई पूरी होने के बाद ही उसे वापस चुकाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। स्टूडेंट को नौकरी मिले या न मिले, चाहे वह आगे और पढ़ाई करना चाहता हो, लेकिन उसे पुराने लोन की रकम दिए गए समय पर चुकानी ही पड़ती है। ऐसा न करने पर ब्याज की रकम बढ़ती जाती है।
वहीं, अगर ऑस्ट्रेलिया की बात करें तो वहां हायर एजुकेशन लोन प्रोग्राम (HELP) चलाया जाता है। इसके तहत स्टूडेंट्स को ट्यूशन फीस देने के लिए लोन दिया जाता है। लेकिन स्टूडेंट्स को लोन की रकम तब चुकानी होती है जब वह एक तय सीमा से ऊपर की सैलरी वाली जॉब हासिल कर लें।
दरअसल, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली (IIT Delhi) ने केंद्र सरकार के समक्ष इस संबंध में प्रस्ताव रखा है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Human Resource Development Ministry – MHRD) से सिफारिश की है कि सरकार हायर एजुकेशन फाइनांसिंग एजेंसी (HEFA) की तर्ज पर एक और एजेंसी बनाए।