राज्य में पासपोर्ट बनवाने के लिए साल 2018 में आवेदनों की संख्या एक लाख के पार पहुंच चुकी है। हर साल इन आंकड़ों में इजाफा हो रहा है। दो साल में उत्तराखंड में पासपोर्ट बनवाने वालों की संख्या में 40 हजार से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। 18 से 30 वर्ष तक के लोगों की संख्या हर साल 50 से 52 प्रतिशत रहती है।
क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी ऋषि अंगरा का कहना है कि केंद्र सरकार ने पासपोर्ट बनवाने की प्रक्रिया पहले की तुलना में काफी आसान कर दी है। देहरादून, नैनीताल, रुड़की, अल्मोड़ा, काठगोदाम, रुद्रपुर व श्रीनगर में भी पासपोर्ट सेवा केंद्र खुल चुके हैं। जिस वजह से पासपोर्ट के आवेदनों की संख्या बढ़ गई है। इसके अलावा अपाइंटमेंट के स्लॉट भी बढ़ गए है। छात्रों में पासपोर्ट बनवाने का क्रेज बढ़ रहा है। जिस वजह से आवेदकों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है। वर्ष 2018 में पासपोर्ट के आवेदनों की संख्या 1,12,368 पहुंच चुकी है। यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में करीब छह हजार आवेदन जांच एवं सत्यापन प्रक्रिया में हैं।
तीन वर्षों में हुए आवेदन
वर्ष कुल महिला पुरुष
2016 72,124 19,471 52,653
2017 88,819 25,468 63,351
2018 1,12,368 34,328 78,040
53 हजार से ज्यादा आवेदक युवा
पहले कुछ लोग ही पासपोर्ट बनवाते थे। अब कुछ संस्थानों में पासपोर्ट अनिवार्य रूप से मांगा जाता है। उच्च शिक्षा, विदेश घूमने और नौकरी के लिए विदेश जाने वालों की संख्या बढ़ रही है। जिस वजह से भी लोगों में पासपोर्ट बनवाने की संख्या ने वृद्धि हो रही है।
18 से 30 वर्ष वाले आवेदक
वर्ष आवेदक
2016 37,487
2017 45,852
2018 53,754
श्रीनगर और अल्मोड़ा में कम आ रहे आवेदक
क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी ऋषि अंगरा ने बताया कि श्रीनगर और अल्मोड़ा में प्रतिदिन केवल 15 से 17 आवेदक ही पहुंच रहे हैं। उन्होंने बताया कि दोनों जिलों में पासपोर्ट बनवाने के लिए लोगों को जागरूक होने की जरूरत है।
देहरादून में प्रतिदिन 50 अपाइंटमेंट
देहरादून में रोजाना 50 अपाइंटमेंट रहते हैं। लोग अपने अपाइंटमेंट के हिसाब से दून पहुंच कर अपना वेरिफिकेशन कराते हैं। बाकी जगहों के मुकाबले देहरादून स्लॉट की अपाइंटमेंट सबसे पहले बुक हो जाती है।